बॉलीवुड फिल्मों के फेमस और वरिष्ठ अभिनेता प्रेम चोपड़ा का दिल की वाल्व बदलने का टावी उपचार मुंबई के लीलावती अस्पताल में सफल रहा। चोपड़ा का इलाज जयपुर के वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवीन्द्र सिंह राव ने किया। डॉ. रवीन्द्र राव देश में दिल की वाल्व से जुड़ी बीमारियों के ऐसे विशेषज्ञ माने जाते हैं। डॉ. रवीन्द्र सिंह राव ने बताया कि प्रेम चोपड़ा को उम्र बढ़ने के कारण हार्ट के वाल्व में सिकुड़न की समस्या थी, जिससे उन्हें सांस लेने में परेशानी और कमजोरी बढ़ रही थी। उम्र ज्यादा होने के कारण उनकी ओपन सर्जरी संभव नहीं थी, इसीलिए नॉन सर्जिकल तकनीक द्वारा उनके हार्ट के एओर्टिक वाल्व को बदला गया। प्रोसीजर के बाद उनकी हालत ठीक बताई गई है। प्रेम चोपड़ा के दामाद और अभिनेता शर्मन जोशी ने बताया कि हमारी ओर से पूरे परिवार की तरफ से मैं दिल से धन्यवाद और आभार व्यक्त करना चाहता हूं। मेरे ससुर प्रेम चोपड़ा को जो बेहतरीन उपचार मिला, उसके लिए दिल से शुक्रिया। यह हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन गोकले और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रविन्द्र सिंह राव के कारण संभव हो पाया। उन्हें को गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस की समस्या थी। डॉ. रवीन्द्र राव ने बिना ओपन हार्ट सर्जरी किए सफलतापूर्वक टावी प्रक्रिया की और नया वाल्व लगा दिया। आज पिताजी घर पर हैं और पहले से काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं। जानिए क्या है टावी इलाज डॉ. रवीन्द्र ने बताया कि टावी एक आधुनिक तरीका है, जिसमें बिना सीना चीरे नई वाल्व लगाई जाती है। इसमें शरीर के किसी हिस्से से पतली नली अंदर ले जाकर खराब वाल्व की जगह नई वाल्व लगा दी जाती है। यानी बड़ा चीरा, ज्यादा दर्द या लंबी बेहोशी की जरूरत नहीं होती। ज्यादा उम्र में सामान्य दिल की सर्जरी का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए टावी ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। इस उपचार से जल्दी आराम मिलता है, अस्पताल में कम दिन रहना पड़ता है, सांस फूलने और थकान में जल्दी सुधार होता है और मरीज जल्दी अपने कामकाज पर लौट सकता है। डॉ. रवीन्द्र सिंह राव का कहना है कि देश में बढ़ती उम्र के लोगों में दिल की वाल्व खराब होने की समस्या बढ़ रही है। ऐसे में समय रहते जांच और उचित उपचार, खासकर टावी जैसा तरीका, जीवन बचाने में बहुत मदद करता है। अब जानते हैं प्रेम चोपड़ा के बारे में प्रेम चोपड़ा का जन्म लाहौर में हुआ था। इनका परिवार विभाजन के बाद भारत आ गया था। उनकी पढ़ाई शिमला में हुई और शिमला में ही नाटक व अभिनय में रुचि होने लगी। प्रेम चोपड़ा हिन्दी सिनेमा के उन दिग्गज अभिनेताओं में गिने जाते हैं, जिन्होंने खलनायक के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी संवाद अदायगी, खासकर “प्रेम नाम है मेरा… प्रेम चोपड़ा” यह आज भी भारतीय सिनेमा के आइकॉनिक डायलॉग्स में गिना जाता है। चोपड़ा के फिल्मी करियर की शुरुआत 1960 के दशक में हुई। प्रेम चोपड़ा ने हिन्दी, पंजाबी और बंगाली भाषा की 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। “मुड़ के ना देखो” (1960), वो कौन थी? (1964) फिल्म से उन्हें फिल्म उद्योग में खास पहचान मिली। 1967 की फिल्म “उपकार” उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इस फिल्म के बाद उन्होंने भारतीय सिनेमा के सबसे लोकप्रिय खलनायकों की श्रेणी में जगह बना ली। प्रेम चोपड़ा ने 1960–90 के दशक में कई बड़ी फिल्मों में दमदार खलनायक के रोल निभाए। जिनमें दो रास्ते (1969), कटी पतंग (1970), दाग (1973), बॉबी (1973), कुरबानी (1980) शामिल हैं। क्रांति, सौदागर, याराना, हम आपके हैं कौन में वह सकारात्मक किरदार में दिखे।


