ब्लास्ट में जिनके चीथड़े उड़े, उनकी पहचान हुई:गुजरात पटाखा फैक्ट्री में गई थी जान; देवास में हुआ अंतिम संस्कार

गुजरात के बनासकांठा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट में जान गंवाने वाले दो लोगों की पहचान हो गई है। इन शवों का डीएनए टेस्ट कराया गया था। शवों की पहचान लक्ष्मी (50) और संजय (12) के रूप में हुई है। लक्ष्मी ठेकेदार थी, वो ही ज्यादातर लोगों को गुजरात ले गई थी। 1 अप्रैल मंगलवार सुबह करीब 8 बजे पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में 20 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से 8 लोग हरदा के हंडिया के परिवार के जबकि 10 देवास जिले के संदलपुर के थे। 18 शव का अंतिम संस्कार गुरुवार को देवास के नेमावर घाट पर किया गया था। दो शवों की पहचान नहीं हो पाई थी। हरदा तहसीलदार वीरेंद्र उईके ने बताया, मौके पर मिले अंगों से लापता लक्ष्मी की दोनों बेटियों और संजय के पिता संतोष नायक के ब्लड का सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट कराया गया। जिससे दोनों की पहचान हुई है। बॉडी के अलग-अलग अंग मिले थे, इन्हें इकट्ठा कर नेमावर घाट लाया गया, जहां दोनों शवों का अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में एडीएम सतीश राय, एसडीएम कुमार शानू समेत प्रशासन के अन्य अधिकारी मौजूद रहे। हंडिया की ठेकेदार लक्ष्मी लेकर गई थी गुजरात
घायलों के परिजन ने बताया कि कोलीपुरा टप्पर में रहने वाली लक्ष्मीबाई सभी को लेने घर आई थी। वह अच्छी मजदूरी मिलने की बात कहकर सभी को अपने साथ हंडिया से गुजरात ले गई थी। संजय की नानी कंकू बाई ने बताया, मेरी बेटी बबिता अपने दो बेटों धनराज (18 साल) और संजय (12 साल) को लेकर अमावस्या के दिन गुजरात पटाखा फैक्ट्री में काम करने गई थी। उसने और उसके बच्चों ने पहले ये काम कभी नहीं किया था। लक्ष्मी ठेकेदार उसको बहलाकर ले गई। पहले वो हाटपिपल्या की फैक्ट्री में काम करने गए थे। उसके बाद वहीं से गुजरात चले गए। हरदा पटाखा फैक्ट्री में चौकीदारी करती थी लक्ष्मी
ठेकेदार लक्ष्मी हरदा के पटाखा व्यवसायी राजू अग्रवाल की कुंजरगांव की फैक्ट्री पर अपने पति अनिल नायक के साथ चौकीदारी करती थी। करीब डेढ़ साल पहले फैक्ट्री में करंट लगने से अनिल की मौत हो गई थी। वहीं, हरदा की पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के बाद लक्ष्मी आर्थिक तंगी से गुजर रही थी। लक्ष्मी मजदूरी कर अपनी दोनों बेटियों निधि और नेहा को पाल रही थी। इसी दौरान वह संदलपुर के ठेकेदार पंकज के संपर्क में आई। पंकज के कहने पर हंडिया से 11 लोगों को अपने साथ गुजरात ले गई। वह दोनों बेटियों को अपने भाई ललित के पास छोड़ गई थी। मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… पटाखा फैक्ट्री में हरदा-देवास के 20 मजदूरों की मौत: बॉयलर फटा, धमाके से दूर तक बिखरे शरीर के टुकड़े; दो दिन पहले गुजरात गए थे मां बोली-बेटे की तेरहवीं के लिए कमाने गुजरात गए थे:लेकिन सब खत्म हो गया; पटाखा फैक्ट्री विस्फोट में एक परिवार के 11 की मौत मां ने रोका, फिर भी पटाखा बनाने गया, मिली मौत:बोलीं- हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में जिंदा बच गया था, गुजरात में नहीं बच सका एक साथ जलीं 18 चिताएं:देवास में नेमावर घाट पर अंतिम संस्कार; गुजरात फैक्ट्री ब्लास्ट में गई थी 20 की जान 100 रु. ज्यादा मजदूरी के लिए गुजरात गए, 20 मौत:एक ही परिवार के 6 लोग खत्म, मुआवजा लेने वाला भी कोई नहीं बचा पत्नी को कंगन से और बेटे को रुद्राक्ष से पहचाना:अंतिम संस्कार भी नहीं देख पाए परिजन, गुजरात पटाखा फैक्ट्री हादसे की दर्दनाक कहानियां..

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