भाजपा को जनवरी में मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष:सपा के PDA की काट के साथ वोट बैंक पर नजर; रेस में अमरपाल, बीएल वर्मा समेत कई नेता

भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जनवरी में कभी भी हो सकती है। भाजपा के नए अध्यक्ष ही संगठन के मोर्चे पर विधानसभा चुनाव 2027 में कमान संभालेंगे। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष की रेस वाले नेताओं की दौड़ लखनऊ से दिल्ली ही नहीं नागपुर तक तेज हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार लखनऊ में समीकरण बैठाने के साथ दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय से लेकर नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय तक संपर्क साधने में जुटे हैं। सपा के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्ड को तोड़ने के लिए भाजपा पिछड़े या दलित वर्ग के नेता को संगठन की कमान सौंप सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस पर सैद्धांतिक सहमति भी बन गई है। वहीं, पार्टी के संगठनात्मक चुनाव में मंडल अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया अंतिम चरण में चल रही है। पार्टी के जिलाध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया भी 7 जनवरी तक पूरी हो जाएगी। अब जानिए दौड़ में कौन? भाजपा क्यों सौंप सकती है प्रदेश की कमान अमरपाल मौर्य पिछड़े वर्ग में पार्टी के प्रदेश महामंत्री और राज्यसभा सदस्य अमरपाल मौर्य ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक दावेदारी पेश की है। अमरपाल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के सहयोगी के रूप में भाजपा में राजनीति शुरू की थी। केशव प्रसाद मौर्य की टीम में पहली बार प्रदेश मंत्री बने। उसके बाद महेंद्रनाथ पांडेय की टीम में भी रहे। स्वतंत्र देव सिंह और भूपेंद्र सिंह चौधरी की टीम में भी प्रदेश महामंत्री हैं। ऊंचाहार से विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। क्यों बन सकते हैं? : अमरपाल मौर्य डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के करीबी हैं। प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह से भी उनकी नजदीकी है। अमरपाल की डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के खेमे में भी अच्छी खासी पकड़ है। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा मौर्य समाज को साधने का प्रयास कर रही है। मौर्य, सैनी, शाक्य, कुशवाहा, काछी, माली, सैनी समाज की आबादी 4 फीसदी से अधिक है। केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। ओबीसी मोर्चा के पदाधिकारी भी रहे हैं। बीएल वर्मा लगातार दूसरी बार केंद्र सरकार में मंत्री हैं। क्यों बन सकते हैं?: पूर्व सीएम कल्याण सिंह के निधन के बाद बीएल वर्मा ही लोध समाज के बड़े नेता हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी हैं। लोध समाज भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन सपा लगातार इसमें सेंधमारी का प्रयास कर रही है। बीएल वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से पिछड़े वर्ग में पकड़ बनाने में मजबूती मिलेगी। प्रदेश में पिछड़े वर्ग में लोध समाज की आबादी 4.90 फीसदी से ज्यादा है। बाबूराम निषाद भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं। भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी भी रहे हैं। विधानसभा उपचुनाव में कटेहरी से धर्मराज निषाद विधायक चुने गए। क्यों बन सकते हैं? लोकसभा चुनाव में निषाद वोट बैंक भाजपा से सपा को शिफ्ट हुआ। भाजपा लगातार निषाद समाज में फिर पकड़ बनाने का प्रयास कर रही है। बाबूराम निषाद को अध्यक्ष बनाने से निषाद वोट के लिए निषाद पार्टी पर निर्भरता कम होगी। केवट, मल्लाह, निषाद समाज की आबादी 4.35 प्रतिशत से ज्यादा है। प्रकाश पाल कानपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं। लंबे समय से आरएसएस से जुड़े रहे हैं। क्यों बन सकते हैं?: पाल समाज को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है। अभी तक पार्टी ने पाल नेताओं को बड़ा पद नहीं दिया है। सपा ने पाल बिरादरी से प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। पाल, गढ़रिया समाज को साधने में मदद मिलेगी। प्रदेश में पाल, गढ़रिया और बघेल समाज की आबादी 4.5 फीसदी है। विनोद सोनकर कौशांबी के पूर्व सांसद विनोद सोनकर भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ताकत लगा रहे हैं। कौशांबी के पूर्व सांसद हैं। पार्टी में राष्ट्रीय मंत्री भी रहे हैं। क्यों बन सकते हैं? सोनकर समाज भाजपा का बड़ा वोट बैंक है। लेकिन समाज को सरकार या संगठन में कोई बड़ा पद नहीं मिला है। योगी कैबिनेट में एक भी सोनकर मंत्री नहीं है। वहीं, प्रदेश संगठन में भी प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष या क्षेत्रीय अध्यक्ष सोनकर नहीं हैं। दलित वर्ग में सोनकर समाज की आबादी अच्छी है। हरीश द्विवेदी हरीश द्विवेदी बस्ती से दो बार सांसद रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री के साथ असम के प्रभारी भी हैं। क्यों बन सकते हैं? प्रदेश में ब्राह्मण वोट बैंक करीब 12 फीसदी है। बीते कुछ समय से ब्राह्मण भाजपा से नाराज भी रहा है। इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला। लगातार दो बार से पिछड़े समाज को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जा रही है। जबकि एक बार ब्राह्मण और एक बार अन्य जाति की परंपरा रही है। डॉ. दिनेश शर्मा पूर्व डिप्टी सीएम हैं। राज्यसभा सदस्य भी हैं। लगातार दो बार लखनऊ के महापौर और भाजपा के संगठन चुनाव के राष्ट्रीय प्रभारी भी रहे हैं। आरएसएस और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के करीबी हैं। क्यों बन सकते हैं? यूपी में भाजपा के ब्राह्मण चेहरे हैं। डिप्टी सीएम पद से हटने के बाद से ब्राह्मण समाज में काफी सक्रिय भी है। इसी वजह से पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भी भेजा। विद्यासागर सोनकर विद्यासागर सोनकर भाजपा के प्रदेश महामंत्री रहे हैं। एमएलसी हैं। पूर्व सांसद भी हैं। क्यों बन सकते हैं? विद्यासागर 2019 और 2022 में भी प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे। सोनकर समाज के बड़े नेता हैं। भाजपा और आरएसएस में भी गहरी पकड़ है। सोनकर वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी दांव खेल सकती है। कई ब्राह्मण नेता भी कतार में
भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए पार्टी के कई ब्राह्मण नेता भी कतार में लगे हैं। राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा, कन्नौज के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक, मथुरा विधायक श्रीकांत शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक भी दौड़ में शामिल हैं। पार्टी के कुछ नेता कयास लगा रहे हैं कि चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय को ही एक बार फिर संगठन की कमान सौंपी जा सकती है। दलित कैंडिडेट भी दौड़ में
वहीं, पूर्व सांसद रमाशंकर कठेरिया, प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत, एमएलसी लालजी निर्मल और एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया सहित अन्य दावेदार भी हैं। मौर्य समाज को भी साधने में जुटी है भाजपा
भाजपा पिछड़े वर्ग में मौर्य समाज को साधने में जुटी है। केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश सरकार में लगातार दूसरी बार डिप्टी सीएम हैं। सिराथू से विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम बनाया। पार्टी के प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य को रायबरेली से विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी राज्यसभा सदस्य बनाया गया। बहोरन लाल मौर्य को विधान परिषद भेजा गया। विधानसभा उपचुनाव में भी ब्राह्मण बहुल मझवां सीट पर सुचिस्मिता मौर्य को प्रत्याशी बनाया गया। कुर्मी वोट बैंक खिसकने का खतरा
प्रदेश में पिछड़ी जातियों में यादव समाज के बाद कुर्मी समाज सबसे प्रभावी है। भाजपा के सामने मौर्य या निषाद को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से कुर्मी वोट बैंक खिसकने का खतरा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा ने 2019 में कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। इससे कुर्मी वोट बैंक एक तरफा भाजपा की ओर जुड़ा। इसका फायदा पंचायतीराज चुनाव 2021 और विधानसभा चुनाव 2022 में भी मिला। लेकिन 2022 में स्वतंत्र देव के प्रदेश अध्यक्ष होने के बाद भी उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया। उन्हें प्रदेश पद से हटाया गया। विधान परिषद में नेता सदन के पद से भी हटाया गया। इसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा चुनाव 2024 में भुगतना पड़ा। चुनाव परिणाम बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में कुर्मी वोट बड़ी संख्या में खिसक कर सपा की ओर चला गया। ऐसे में यदि अब कुर्मी समाज की अनदेखी कर मौर्य, निषाद या अन्य किसी पिछड़ी जाति के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो इससे कुर्मी समाज का वोट बैंक 2027 में फिर खिसक सकता है। वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय का कहना है कि बड़ी संभावना है कि किसी पिछड़े वर्ग को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। कुर्मी वोट सपा की ओर शिफ्ट हुआ है, ऐसे में कुर्मी को भी प्रदेश अध्यक्ष बना सकते हैं। लोध समाज को बीते लंबे समय से कोई बड़ा पद नहीं मिला है, ऐसे में लोध समाज के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। मौर्य समाज पर भी भाजपा विचार कर सकती है। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए लगता है कि भाजपा आलाकमान ओबीसी को ही प्रदेश का नेतृत्व देगा। 7 जनवरी तक नियुक्त होंगे जिलाध्यक्ष
भाजपा के 98 संगठनात्मक जिलों में नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति 7 जनवरी तक की जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति 20 से 25 जनवरी तक हो सकती है। प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक प्रदेश परिषद के सदस्य की नियुक्ति की जाएगी। हर जिले से एक अनुसूचित जाति का सदस्य होना अनिवार्य है। यदि किसी जिले में एससी के लिए सीट आरक्षित नहीं है तो वहां एक एससी के अतिरिक्त सदस्य की नियुक्ति की जाएगी। प्रदेश परिषद के सदस्यों की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। मंडल अध्यक्ष पर मंथन पूरा, घोषणा 30 तक
भाजपा के 1819 मंडलों में नए मंडल अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए मंथन पूरा हो गया है। प्रदेश स्तर से निर्धारित मंडल अध्यक्ष के नाम की घोषणा जिला स्तर पर की जाएगी। मंडल अध्यक्षों की घोषणा 30 दिसंबर तक हो सकती है। —————– ये भी पढ़ें… राजनाथ बोले- मैं किसी प्रधानमंत्री की बुराई नहीं करता:PM एक संस्था; योगी डायनामिक CM, धार्मिक काम में बाधा नहीं आने दी लखनऊ में राजनाथ सिंह ने कहा- मैं किसी प्रधानमंत्री की बुराई नहीं करता हूं, क्योंकि प्रधानमंत्री एक संस्था है। योगी आदित्यनाथ डायनामिक चीफ मिनिस्टर हैं। उन्होंने यूपी में किसी भी धार्मिक काम में बाधा नहीं आने दी। रक्षा मंत्री ने कहा- राजीव गांधी ने कहा था कि वह 100 रूपए भेजते हैं तो 14 रुपए ही नीचे (आम आदमी तक) पहुंचता है, लेकिन मोदी सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम लागू की। अब पूरा 100 रुपए आम आदमी तक पहुंच रहा। रक्षा मंत्री बुधवार को लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी की खूब तारीफ की। पढ़ें पूरी खबर…

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