भारतमाला मुआवजा घोटाला:रूट तय होने के पहले ही कर लिया जमीन का अधिग्रहण; साल 2019 में जगह तय की, लेकिन जमीन 2018 में ही ले ली गई

रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए अधिग्रहीत होने वाली जमीनों को अधिग्रहण के दो साल पहले रेवेन्यू रिकॉर्ड में अध्यिहीत कर लिया गया। इसके लिए रेवेन्यू अफसरों ने अभनपुर तहसील के चार गांवों के 84 किसानों की निजी जमीनों का नामांतरण भी कर दिया। यह खुलासा अभनपुर तहसील में भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत हुई जमीनों के नामांतरण प्रकरणों की पड़ताल में हुआ है। भास्कर पड़ताल में एक बड़ी गड़बड़ी ये भी सामने आई कि कॉरिडोर का रूट अप्रैल 2019 में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने फाइनल किया। लेकिन, अभनपुर के राजस्व अफसरों ने किसान किशोर शर्मा के नाम राजस्व रिकार्ड में खसरा नंबर 1664/9 का नामांतरण 13 सितंबर 2018 की दोपहर सवा तीन बजे भारतमाला परियोजना के नाम कर दिया। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने किसान किशोर के खसरा नंबर 1664/9 से 0.0100 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की है। इसके लिए मार्च 2021 में उसे 1 करोड़ 18 लाख 35 हजार 782 रुपए बतौर मुआवजा देने का अवार्ड पारित किया है। ऐसी गड़बड़ी राजस्व अफसरों ने चार गांवों के 84 खसरों को कर दिया सरकारी, तब मुआवजा भी तय नहीं हुआ था केस- 1 नामांतरण अक्टूबर 2018 को, प्रोजेक्ट रूट अप्रैल 2019 में तय किया गया रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरीडोर का रूट अप्रैल 2019 में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने फाइनल किया। लेकिन, अभनपुर के राजस्व अफसरों ने किसान शशिकांत के नाम राजस्व रिकार्ड में खसरा नंबर 1665 का नामांतरण 4 अक्टूबर 2018 को शाम को 4.40 बजे बजे भारतमाला परियोजना के नाम कर दिया। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने किसान शशिकांत के खसरा नंबर 1665 से 0.0300 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की है। इसके लिए मार्च 2021 में किसान को 38 लाख 68 हजार, 30 रुपए बतौर मुआवजा देने का अवार्ड पारित किया है। केस- 2 जमीन पहले ही ली, अधिग्रहण के प्रस्ताव को 2 साल बाद मिली मंजूरी अभनपुर तहसील के गांव नायकबांधा में खसरा नंबर 1259/1, 3, 4, 6, 7, 8 और 9 का नामांतरण 26 अप्रैल 2019 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय रायपुर-विशाखापट्टनम भारतमाला परियोजना के नाम किया गया। जबकि संबंधित खसरों से जुड़ी जमीनों के अधिग्रहण के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी 18 मार्च 2021 को दी। रेवेन्यू रिकार्ड में इस तरह से 72 खसरों का नामांतरण जमीन अधिग्रहण की मंजूरी के दो साल पहले किए गए। राजस्व अफसरों ने नामांतरण में यह गड़बड़ी उस वक्त की, जब जमीन का मुआवजा भी तय नहीं हुआ था। केस- 3 नामांतरण 2019 में मुआवजा दो साल बाद मिला कॉरिडोर के लिए भिल्वाडीह गांव में कई किसानों की जमीन ली गई। इन्हीं में शामिल खसरा नंबर 849/2,3,4 और 5 का नामांतरण तत्कालीन पटवारी और तहसीलदार ने 16 जून 2019 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय रायपुर-विशाखाप‌ट्टनम भारतमाला परियोजना के नाम कर दिया। जबकि संबंधित मालिक को जमीन का मुआवजा मार्च 2021 के बाद मिला। सबसे ज्यादा निजी जमीनें नायकबांधा में सरकारी कॉरिडोर के लिए अधिग्रहीत जमीनों के नामांतरण में सबसे बड़ी गड़बड़ी नायकबांधा में की गई है। यहां 72 खसरों के राजस्व रिकॉर्ड में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय रायपुर-विशाखापट्टनम भारतमाला परियोजना के नाम नामांतरण कर दिया गया। इसके अलावा भेल्वाडीह में 4, टोकरो में 6 और सातपारा में 3 जमीनों का नामांतरण अवार्ड पारित होने से पहले कर दिया गया। राज्य अथवा केंद्र के किसी भी प्रोजेक्ट लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में अवार्ड (नोटिफिकेशन) पारित होने से पहले रेवेन्यू रिकॉर्ड में जमीन के किसी भी खसरे का नामांतरण संबंधित एजेंसी अथवा संस्था के नाम से नहीं किया जा सकता। अगर क्षेत्र की किसी तहसील में ऐसा हुआ है तो जांच कर, कार्रवाई की जाएगी। -रवि सिंह, एसडीएम (राजस्व), अभनपुर

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