भारतीय ज्ञान परंपरा पर एएन कॉलेज में सेमिनार

एएन कॉलेज में भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण में साहित्य एवं समाज की भूमिका विषय पर अंतरव भागीय सेमिनार हुआ। आयोजन का उद्देश्य छात्र-छ ात्राओं में कौशल विकास और बहुमुखी प्रतिभा को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम का आयोजन आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ और मानविकी संकाय की ओर से किया गया। सेमिनार की शुरुआत में झारखंड जैव विविधता पर्षद के सदस्य और प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ. अमर नाथ सिंह ने विषय प्रवेश कराया। उन्होंने कहा कि भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण जरूरी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। आयोजन सचिव और बांग्ला विभागा ध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार गोराई ने मंच संचालन किया। हिंदी विभागा ध्यक्ष डॉ. अन्हद लाल ने कहा कि हिंदी साहित् यकारों ने देश को एकता के सूत्र में बांधा। आजादी की लड़ाई में उनकी रचनाएं प्रेरणा बनीं। उन्होंने हिंदी को वैश्विक भाषा बनाने का संकल्प लेने की बात कही। सेमिनार में डॉ. अमरकांत पोद्दार, प्रो. कुमार मनोज, प्रो. सुलेमान हांसदा, डॉ. मनोज कुमार, प्रो. प्रवीण कुमार सिंह, प्रो. सुशील चंद्र चौधरी, प्रो. नीरज झा सहित कई प्राध्यापक शामिल हुए। शिक्षकेत्तर कर्मियों में अमरेंद्र कुमार, मिथिलेश कुमार, धीरज सिंह, रणवीर सिंह, अंजू गुप्ता प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। सेमिनार की शुरुआत में डॉ. संजय कुमार पाठक ने मंगलाचरण पाठ किया। समापन पर प्रो. रामजीवन झा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। बड़ी संख्या में छात्र-छ ात्राएं मौजूद रहे। कॉलेज में इन दिनों नैक ग्रेडिंग के द्वितीय चक्र की तैयारी चल रही है। एसएसआर जमा करने के लिए कॉलेज परिवार मेहनत कर रहा है। कॉलेज परिसर की सुंदरता इन दिनों देखने लायक है। पहले चक्र में कॉलेज को बी प्लस ग्रेड मिला था। भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण में अंग्रेजी विषय की भूमिका अहम: डॉ. प्रमोद कुमार झा अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार झा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण में अंग्रेजी विषय की भी अहम भूमिका है। उन्होंने इसके उपयोग और महत्व को विस्तार से बताया। संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. रामजीवन झा ने संस्कृत साहित्यकारों के योगदान पर प्रकाश डाला। संथाली विभागाध्यक्ष प्रो. सोम मुर्मू ने कहा कि संथाली साहित्यकारों का योगदान भी महत्वपूर्ण है। पर्शियन विभागाध्यक्ष प्रो. इस्लामुद्दीन ने शेरो-शायरी के माध्यम से छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने पर्शियन साहित्य की भूमिका को विस्तार से समझाया।

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