राज्य सरकार सरकारी स्कूलों का फिर से सर्वे कराएगी। भाषा के आधार पर स्कूलों का वर्गीकरण होगा। यह सर्वेक्षण इसलिए होगा, ताकि सरकारी स्कूलों के पोषक क्षेत्रों के सभी बच्चों के बारे में यह पता लगाया जा सके कि उनकी मातृभाषा क्या है। वे कौन-कौन सी भाषा बोल और समझ सकते हैं। 10 मार्च को शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा था कि सरकारी स्कूलों में क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होगी। स्कूलों में जिस एक क्षेत्रीय भाषा के 10 से 15 छात्र होंगे, वहां एक शिक्षक को लाएंगे। ऐसा सभी क्षेत्रीय भाषा के छात्रों के लिए होगा। उन्होंने विधानसभा में स्कूली शिक्षा एवं उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग की अनुदान मांग पर हुए वाद-विवाद पर ये बातें कही थी। अब सर्वे के बाद स्कूलों के पोषक क्षेत्रों में जो भी जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती हैं, उसके अनुरूप ही स्कूलों में उस भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति होगी। नागपुरी, खड़िया, पंचपरगनिया, हो, कुड़ुख, मुंडारी, कुरमाली, संथाली व खोरठा के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के बोलने वाले बच्चों की संख्या की भी पड़ताल की जाएगी। पश्चिम बंगाल के जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई के मॉडल का अध्ययन करने गई शिक्षा विभाग की टीम ने पाया है कि वहां के ग्राउंड जीरो पर काम हुआ है। झारखंड में बोली जानेवाली संथाली भाषा में भी वहां के स्कूलों में पढ़ाई होती है। यह स्कूलों के पोषक क्षेत्रों में बोली जानेवाली भाषाओं के आधार पर तय होगा कि वहां किस भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति होगी। इसके लिए सभी स्कूलों के पोषक क्षेत्रों का सर्वे होगा। फिर वहां बोली जाने वाली भाषा के आधार पर उस स्कूल की कैटेगरी निश्चित होगी। – उमाशंकर सिंह, शिक्षा सचिव