मनेंद्रगढ़ नगर पालिका के बाजार क्षेत्र में रह रहे लोगों की जमीनें राजस्व विभाग की त्रुटि से लीज की जमीन घोषित हो गया है। जिससे यहां मकान और दुकान बनाकर रहने, व्यापार कर रहे लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके सुधार करने को लेकर शासन स्तर पर कई बार मांग की गई। लेकिन आज तक यहां रहने वाले हजारों लोगों को आज तक पट्टा नहीं मिल पाया है। इसको लेकर मनेंद्रगढ़ में “नजूल संघर्ष समिति” भी बनी है, जो कि लगातार शासन-प्रशासन से पट्टे की मांग कर रही है। पिछले दिनों समिति का एक प्रतिनिधिमंडल मनेंद्रगढ़ से रायपुर गया था। प्रतिनिधि मंडल के साथ मनेंद्रगढ़ विधायक और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात कर बाजार क्षेत्र के रहवासियों को पट्टा दिलाने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने भूमि के मेंटेनेंस खसरा में त्रुटिपूर्ण दर्ज लीज को सुधार करने की मांग की है। साथ ही 12 जनवरी 2017 को शासन की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार नजूल भूमियों के भूधारकों को भूस्वामी अधिकार देने के लिए कलेक्टर को निर्देश देने की भी मांग की है। कोरिया रियासत के राजा ने मालिकाना हक देकर बसाया था शहर जानकारों की मानें तो देश की आजादी से पहले 1930-31 में कोरिया स्टेट के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने मालिकाना हक देकर मनेंद्रगढ़ शहर को बसाया था। जिसके दस्तावेज यहां के लोगों के पास मौजूद हैं। बताया जाता है कि 1936 तक यह भूमि आबादी क्षेत्र कहलाती थी। तब मनेंद्रगढ़ ग्राम पंचायत लालपुर के आश्रित ग्राम कारी माटी कहलाता था। 1936 में मनेंद्रगढ़ नगर पालिका बनने के बाद यहां का सारा अधिकार नगर पालिका अध्यक्ष को दे दिया गया। नगर पालिका अध्यक्ष की ओर से दिया गया मालिकाना हक 1936 से 1950 तक नगर पालिका अध्यक्ष की ओर से भी शहर के रहवासियों को मालिकाना हक देकर बसाया गया था। 1950 में इस भूमि का सारा अधिकार राजस्व विभाग को दे दिया गया। राजस्व विभाग ने 1952 में नजूल मेंटेनेंस खसरा बनाया। तत्कालीन विधि के अनुसार जिनका नाम मेंटेनेंस खसरा में नाम दर्ज था, वह मालिकाना हक में दर्ज किया गया। तब तक किसी भी भू-स्वामी के नाम के आगे लीज भूमि नहीं था। लीज नवीनीकरण भी कराया गया 1997-98 में राजस्व के अधिकारी ने त्रुटि से मेंटेनेंस खसरे में लीज समाप्ति अंकित कर दिया। तब से इस त्रुटि सुधार की मांग की जा रही है। हालांकि, आवश्यकता अनुसार इस बीच कुछ रहवासियों ने अपनी भूमि का लीज नवीनीकरण भी कराया गया। लेकिन मालिकाना हक की मांग लगातार जारी रहा। तत्कालीन कलेक्टर ने माना राजस्व विभाग की त्रुटि इसी बीच 2014 में तत्कालीन अविभाजित कोरिया कलेक्टर अविनाश चंपावत ने अपने आदेश में यह माना कि यह राजस्व विभाग की त्रुटि है, इसे सुधार किया जाए। इसके लिए राजस्व विभाग की एक संयुक्त टीम भी गठित की गई. लेकिन जानकारों की मानें तो राजस्व विभाग की यह गठित टीम कोई कार्य नहीं की, लेकिन आदेश आज भी यथावत है । मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओं से की मुलाकात नजूल संघर्ष समिति के लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव सिंह के साथ अन्य नेताओं से मुलाकात कर मनेंद्रगढ़ की भूमि रिकॉर्ड में त्रुटि सुधार की मांग ज्ञापन सौंपा। पट्टा नहीं मिलने के कारण नहीं हो रहा काम अपने ज्ञापन में “मनेंद्रगढ़ संघर्ष समिति” ने बताया कि शहर की भूमि रिकॉर्ड में त्रुटि होने के कारण और लोगो को अब तक पट्टा नहीं मिल पाने के चलते कई काम नहीं हो पा रहे हैं। शहर की भूमि की खरीदी बिक्री भी नहीं हो रही है। साथ ही व्यापारियों को व्यापार लोन भी नहीं मिल पा रहा है। इस मामले में विधायक श्याम बिहारी जायसवाल का कहना है कि राज्य शासन इस पर विचार किया जा रहा है। आने वाले समय मे इस पर निर्णय ले लिया जाएगा।