भास्कर न्यूज | दंतेवाड़ा श्रीरामचरितमानस जैसा पावन ग्रंथ रचकर विश्व को उपहार देने वाले गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर दंतेवाड़ा में राज्य स्तरीय समारोह गुरुवार को आयोजित हुआ। मेंडका डोबरा मैदान के मंच पर यह आयोजन श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान छत्तीसगढ़ की जिला इकाई के तत्वाधान किया गया। इस दौरान सुबह प्रभात फेरी निकाली गई। इसके बाद अतिथियों ने मां दंतेश्वरी, भगवान श्रीराम व गोस्वामी तुलसीदास के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर ध्वजारोहण किया। मंगलाचरण के बाद विभिन्न मंडलियों ने गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं व श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों का सस्वर पाठ किया व तुलसीदास जी के जीवन चरित पर आख्यान प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व कांकेर सांसद मोहन मंडावी, प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जगदीश देशमुख, महासचिव राजेंद्र ठाकुर, विधायक चैतराम अटामी ने आयोजन पर प्रसन्नता जाहिर करते कहा कि श्रीरामचरितमानस का मर्म समझकर इसे अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। इस महान ग्रंथ में जीवन के हरेक पहलु के लिए कुछ न कुछ लिखा गया है। भगवान राम ने सांसारिक होकर लीला रची। उन्हें हम अपने हृदय में धारण करें तो निश्चित रूप से भवसागर से तर जाएंगे। दिव्य जीवन संघ आश्रम गुमरगुंडा के संचालक स्वामी विशुद्धानंद सरस्वती ने कहा कि जिनके भाग्य में होता है, वही ऐसे आयोजन में पहुंच पाते हैं। छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की जन्मभूमि है, यह हमारे लिए गर्व का विषय है। कार्यक्रम का समापन रामायण आरती व राष्ट्रगान के साथ हुआ। श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान के महासचिव राजेंद्र ठाकुर ने प्रतिष्ठान द्वारा जल्द ही अलंकरण समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें 10 अलग-अलग क्षेत्रों में वार्षिक अलंकरण दिए जाएंगे। साथ ही मानस मंजूषा पत्रिका प्रकाशित की जाएगी, जिसमें मानस मंडलियों की उपलब्धियां प्रकाशित की जाएंगी। कार्यक्रम में तुलसी मानस प्रतिष्ठान छत्तीसगढ़ की राज्य व जिला इकाई के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे। इस आयोजन में श्रीराम आदर्श प्रचार मंच कबीरमठ नादिया, जिला राजनांदगांव की प्रस्तुति के दौरान 4 वर्षीय नन्हीं बच्ची मोक्षिता साहू की तन्मयता से प्रभावित होकर अतिथियों ने उसे नगद व अन्य पुरस्कारों से नवाजा। इसी तरह दुर्ग जिले के रेंगा कठेरा, गुंडरदेही से पहुंची राम सागर मानस मंडली में 6 वर्षीय वाणी साहू द्वारा तबला वादन करते हुए अपनी गायिका माता के साथ जुगलबंदी को भी लोगों से सराहा।