मंडी में बुधवार को आंगनबाड़ी वर्कर, सहायिकाओं और मिड-डे मील कर्मियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। जिले के विभिन्न खंडों से सैकड़ों स्कीम वर्कर अपनी मांगों को लेकर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि, केंद्र सरकार ने 2009 से मिड-डे मील कर्मियों और 2020 से आंगनबाड़ी वर्करों के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की है। उनके बजट में हर साल कटौती की जा रही है और कई महीनों तक वेतन का भुगतान नहीं किया जाता, जिससे उनमें भारी रोष है। आंगनबाड़ी वर्कर्स की प्रमुख मांग आंगनबाड़ी वर्कर हेल्पर यूनियन की प्रधान विमला शर्मा ने कहा कि एक तरफ सरकार अपने कार्यक्रमों का जश्न मना रही है, वहीं उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। वर्करों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को ग्रेच्युटी, पेंशन, चिकित्सा और मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाएं देने की मांग की। उन्होंने मिड-डे मील वर्करों के लिए भी आंगनबाड़ी कर्मियों की तर्ज पर 20 आकस्मिक अवकाश देने का प्रावधान करने की अपील की। हर महीने की पहली तारीख को वेतन भुगतान की मांग उन्होंने मांग की कि, मिड-डे मील कर्मियों का मानदेय हर महीने की पहली तारीख को उनके बैंक खाते में एकमुश्त जमा किया जाए। इसके अतिरिक्त, 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करते हुए आंगनबाड़ी और मिड-डे मील कर्मियों को श्रमिक/कर्मचारी का दर्जा देने, केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन और महंगाई भत्ता तत्काल लागू करने की मांग की गई। उन्होंने मिड-डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाय 12 महीने का वेतन देने और योजना को आठवीं कक्षा से बढ़ाकर 12वीं तक करने की भी वकालत की। प्रदर्शनकारियों ने वेदांत, नंद घर, पिरामल और आईएसए जैसी संस्थाओं के नाम पर आंगनबाड़ी और मिड-डे मील योजनाओं के निजीकरण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। उन्होंने मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को रद्द कर पुरानी श्रम कानून व्यवस्था बहाल करने की भी अपील की। प्रदर्शन के बाद, इन कर्मियों ने प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भी प्रेषित किया।


