मंदिर-मस्जिद देश का भविष्य नहीं:एएमयू में कपिल सिब्बल बोले, शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत; AI बड़ी चुनौती

मंदिर-मस्जिद, लव जिहाद, धारा 370 और यूसीसी जैसे मामलों से देश का भविष्य तय नहीं होगा। बेहतर शिक्षा से ही देश के विकास की नींव रखी जा सकती है। यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने शनिवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कही। वह अलीगढ़ मुस्लिम टीचर्स एसोसिएशन के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे और सभी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था में आज सुधार की जरूरत है। सरकार को इन सभी मुद्दों से हटकर देश की शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर करने की ओर ध्यान देना चाहिए। इसी से युवा पीढ़ी को मजबूती मिलेगी और देश तरक्की की ओर बढ़ेगा। अल्पसंख्यक वर्ग को शिक्षा संस्थान खोलने का हक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक के दर्जे को लेकर कोर्ट में चल रहे मामले को लेकर राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अब इस मामले में कुछ भी नहीं बचा है। कोर्ट से फैसला यूनिवर्सिटी के हक में आएगा। उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलता है और संविधान में हर अल्पसंख्यक वर्ग को अपना शिक्षण संस्थान खोलने की आजादी है। उन्होंने कहा कि अगर देश के अल्प संख्यक संस्थान सुरक्षित नहीं रहेंगे तो देश के सेकुलरिज्म पर खतरा आ जाएगा। उन्होंने कहा कि तीन जजों की बेंच से जो फैसला आएगा, वह हमारे हक में ही आएगा। हम यह लड़ाई जीत चुके हैं। एआई को चुनौती के रूप में लेना होगा उन्होंने संभल की मस्जिद और लव जिहाद जैसे मामलों पर बोलते हुए कहा कि आज इन सारी चीजों का मुद्दा बनाया जा रहा है। लेकिन ऐसी चीजों से आपसी भाईचारा और प्रेम खत्म हो रहा है। इससे देश की तरक्की नहीं होगी, बल्कि देश पिछड़ेगा। हमें तकनीकि तौर पर तैयार होना होगा। उन्होंने कहा कि बुलडोजर, यूनियन सिविल कोड, मणिपुर से देश का भविष्य तय नहीं होता है। देश के नागरिकों के अधिकारों के प्रति भी सोचने की जरूरत है।देश में दुनिया में एआई के रूप में एक खतरा आ रहा है। जिसके लिए देश तैयार नहीं है।इसे चुनौती के रूप में लेना होगा। कई देश हमसे आगे है। उनका अपना एआई है। हम अब भी दूसरों पर निर्भर हैं। शिक्षा से ही देश बनेगा विश्व गुरु कपिल सिब्बल ने कहा कि देश ऐसी घटनाओं से विश्व गुरु या विश्व पटल पहचान नहीं बना सकता है।देश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की आवश्यकता है। 2014 में देश में शिक्षा दर 74 फीसदी पर थी।जो अभी तक करीब 80 फीसदी के करीब ही पहुंच पाई है। यह हवाला उन्होंने असर की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए दिए।

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