खानों में दुर्घटना होने पर पुलिस खान निरीक्षक की रिपोर्ट के बाद न्यायालय में चालान प्रस्तुत करें
मप्र शासन के गृह मंत्रालय (पुलिस) के अवर सचिव ने जारी किए निर्देश
संतोष कुमार झा
अनूपपुर। मप्र शासन गृह मंत्रालय (पुलिस) के अवर सचिव से जारी एक पत्र में कलेक्टर शहडोल सरगुजा बिलासपुर रायगढ़ आदि जिलों के कलेक्टर को लिखे पत्र में निर्देष दिया है कि भारत सरकार श्रम मंत्रालय ने समस्त राज्यों कोल फील्ड के मैनेजरों के बैठक में यह बताया गया कि खानों में दुर्घटना होने के बाद खदान निरीक्षक व पुलिस के द्वारा जांच की जाती है किंतु खदान निरीक्षक के जांच प्रतिवेदन प्रस्तुतिकरण से पहले ही पुलिस न्यायालय में चालान प्रस्तुत कर देती है। पुलिस द्वारा खदान दुर्घटना के प्रकरणों में वांछित जांच पूरी कर प्रकरण न्यायालय में भेजने से पहले ही खदान निरीक्षक के रिपोर्ट का सूक्ष्मता से अध्ययन कर उनकी रिपोर्ट को जांच विवेचना में षामिल कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया जाए। हालांकि खदान दुर्घटनाओं के बारे में पुलिस विभाग प्रकरण को कायमी व अनुसंधान करने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र है। यह उनका संवैधानिक अधिकार है उस पर कोई रोक नहीं लगा सकता किंतु खदान दुर्घटनाओं के मामले में खदान निरीक्षक की रिपोर्ट का अध्ययन कर जैसी स्थिति निर्मित हो उसके अनुरूप ही वैधानिक कार्रवाई करें।
क्या है मामला
सीएमओएआई द्वारा समय समय पर प्रबंधन से खदान दुर्घटनाओं आदि का पता लगाने तथा कारण जानने के लिए समय समय पर विभागीय जांच की जाती है। खान सुरक्षा निदेशालय की जांच तथा पुलिस की कार्रवाई होती है। जिसके कारण खदान के अधिकारियों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एसईसीएल के निदेशक कार्मिक ने एक पत्र लिखकर सभी खान में काम करने वाले सभी अधिकारियों अस्वस्थ किया है कि पुलिस अनुसंधान व प्रकरण के संबंध में जो भी चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा उसमें खान सुरक्षा निदेशालय द्वारा की गई जांच बिन्दु समाहित होंगे।
क्या है डीजीएमएस
डीजीएमएस एक भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्था है जो विभिन्न खदानों में होने वाली दुर्घटना और उससे बचाव के नियम कानून कड़ाई से पालन करवाता है। दुर्घटना होने की स्थिति में यह संस्था तकनीकी विशेषज्ञ के माध्यम से दुर्घटनाओं के मामले में यह पता लगाने की कोशिश करता है कि यह दुर्घटना मानवीय भूल अथवा गलती के कारण हुई है या आकस्मिक है। (खान सुरक्षा महानिदेशालय) खानों में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए एक नियामक एजेंसी है। यह भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। डीजीएमएस का प्राथमिक कार्य खानों में सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना है, जिससे खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं को कम किया जा सके।
डीजीएमएस के कार्य
सुरक्षा मानकों का पालन, डीजीएमएस खानों में सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करता है, जैसे कि मैन राइडिंग सिस्टम, कोयला आग से निपटने की प्रक्रिया और पर्यावरण संरक्षण पहल। डीजीएमएस विनियम के तहत फिटनेस का चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करता है। डीजीएमएस खानों में सुरक्षा कानूनों को लागू करता है और दुर्घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम करने की कोशिश करता है। डीजीएमएस श्रमिकों को शून्य नुकसान के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम करता है। डीजीएमएस खानों में काम करने वाले लोगों के लिए सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान करता है। डीजीएमएस खानों में होने वाले दुर्घटनाओं की निगरानी करता है और सुरक्षा में सुधार के लिए उपाय सुझाता है। डीजीएमएस सुरक्षा के लिए नई तकनीकों का उपयोग करने को प्रोत्साहित करता है। डीजीएमएस खानों में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी ढांचा बनाता है। डीजीएमएस खानों में काम करने वाले लोगों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए प्रचार अभियान चलाता है। डीजीएमएस खानों में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए एक सतर्कता दृष्टिकोण अपनाता है।