राजधानी समेत पूरे प्रदेश में स्कूल- कॉलेजों में चल रही 5000 बसें अगले हफ्ते से बंद हो सकती हैं। मध्यप्रदेश शैक्षणिक संस्था वाहन समन्वय समिति ने यह फैसला लिया है। दरअसल, हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने पिछले हफ्ते आदेश जारी किए हैं कि स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राओं को ले जाने की व्यवस्था में 12 साल से पुरानी बसों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। परिवहन विभाग ने सभी आरटीओ को निर्देश जारी कर दिए हैं।
इसी को लेकर समिति ने रविवार को भोपाल में बैठक की। समिति ने चिंता जताई गई कि प्रदेश में चलने वाली 20 हजार बसों में 5000 बसें ऐसी हैं, जो 12 साल या उससे अधिक पुरानी हैं। हाईकोर्ट ने सिर्फ स्कूल के संदर्भ में व्यवस्था दी है। लेकिन, परिवहन विभाग ने कॉलेज की बसों को भी इसमें शामिल कर लिया है। इस पर स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। अगर कोई सुधार नहीं किया गया तो सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। समिति अध्यक्ष अब्दुल सरवर ने बताया कि राजधानी की 400 करीब बसें भी इससे प्रभावित हो सकती हैं। इसका असर किराए पर पड़ेगा। 15 साल पुरानी यात्री बसें चल रहीं
समिति का कहना है कि 15 साल पुरानी यात्री बसें चलाई जा रही हैं। जबकि, यात्री बस स्कूल-कॉलेज बसों से अधिक सफर करती है। एक यात्री बस एक दिन में औसतन 500 किमी चलती है, जबकि स्कूल और कॉलेज बस 50-60 किमी। ऐसे में स्कूल कॉलेज बसों का संचालन 12 साल तक सीमित करना तर्क संगत नहीं है।