मराठा आरक्षण आंदोलन- सड़कें जाम, जज पैदल चलकर हाईकोर्ट पहुंचे:समर्थक सड़कों पर कबड्‌डी खेल रहे; रवैया देखकर कहा- दोपहर तक रास्ते खाली कराएं

मराठा आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जरांगे ने सोमवार को चौथे दिन आजाद मैदान में भूख हड़ताल जारी रखी। जबकि उनके समर्थक सीएसएमटी रेलवे स्टेशन परिसर को खेल के मैदान में बदल दिया। ये लोग सड़कों पर भी कबड्डी, खो-खो और कुश्ती खेलते नजर आए। एक सड़क पर कुछ प्रदर्शनकारी क्रिकेट खेलते देखे गए, इससे ट्रैफिक जाम हो गया। आंदोलनकारियों ने न केवल आम लोगों को, बल्कि बॉम्बे हाईकोर्ट के जज को भी जूझना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने जज की कार रोक दी, जिसके बाद वे हाईकोर्ट तक पैदल गए। इसके बाद मराठा आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्होंने मंगलवार तक सड़कें खाली कराने का कहा था। दरअसल, मनोज जरांगे 29 अगस्त से आजाद मैदान में भूख हड़ताल कर रहे हैं। वे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। सोमवार से उन्होंने पानी पीना भी बंद कर दिया है। विरोध प्रदर्शन की 6 तस्वीरें… कोर्ट ने कहा- सरकार मंगलवार तक बताए क्या एक्शन लिया कोर्ट ने सीएसटी, मरीन ड्राइव, फ्लोरा फाउंटेन और दक्षिण मुंबई के अन्य इलाकों से आंदोलनकारियों को हटाने का आदेश राज्य सरकार को दिया गया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कल होने वाली सुनवाई में बताए कि क्या एक्शन लिया गया। सरकारी वकील वीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन की अनुमति केवल 29 अगस्त तक दी गई थी। जरांगे और उनके समर्थकों ने हर नियम का उल्लंघन किया है। बेंच ने कहा कि जरांगे का पुलिस को दिया गया यह आश्वासन कि वह जनसभा, आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के नियमों में निर्धारित सभी शर्तों का पालन करेंगे, केवल ‘दिखावटी’ है। 2023 से लेकर अबतक 7वां अनशन 29 अगस्त 2023 को जालना के अपने अंतरवाली साठी गांव में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर पहली बार अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी। तब से यह उनका 7वां विरोध प्रदर्शन है। जरांगे ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले कई विरोध रैलियां और भूख हड़तालें की हैं। 20 फरवरी 2024 को एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठों को 50% की सीमा से ऊपर 10% आरक्षण देने के लिए एक विधेयक पेश किया। इस साल जनवरी में भी राज्य सरकार की ओर से भाजपा विधायक सुरेश धास के हस्तक्षेप के बाद, जारंगे ने छठे दिन अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी। हालांकि इससे पहले 5 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण देते समय 50% आरक्षण का उल्लंघन करने का कोई वैध आधार नहीं होने पर कॉलेजों, उच्च शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को रद्द कर दिया था।

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