महाकाल मंदिर में 1 जनवरी से ड्रेस कोड लागू हो जाएगा। अब केवल पुजारी-पुरोहित सोला (धोती) पहने दिखाई देंगे। बाकी सेवक, मंदिर के कर्मचारी कुर्ता पायजामा में रहेंगे। उन्हें आईडी कार्ड पहनना अनिवार्य रहेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा व्यवस्था के लिए महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने यह फैसला लिया है। मंदिर समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि जिस तरह सुरक्षा कर्मी ड्रेस कोड में रहते हैं, उसी तरह अब पुजारी ड्रेस कोड में होंगे। कई बार अनधिकृत लोग पुजारी बनकर मंदिर परिसर में प्रवेश कर जाते हैं। इस नई व्यवस्था से ऐसी स्थिति पर रोक लगेगी। भस्मआरती में पहले पुरुष सोला व महिला साड़ी में भी जाते थे श्रद्धालु : पूर्व में जब गर्भगृह में जाने के लिए प्रतिबंध नहीं था तब गर्भगृह में प्रवेश के लिए पुरुषों को आमतौर पर धोती-सोला और महिलाओं को साड़ी पहननी पड़ती थी। भस्मआरती में शामिल होने वाले भक्तों को मंदिर के इन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना पड़ता था। ड्रेसकोड अनुष्ठान की शुद्धता और पारंपरिक पवित्रता को बनाए रखता है। पहचान आसान होगी
महाकाल मंदिर समिति में 16 रजिस्टर्ड पुजारी, 22 पुरोहित और 45 प्रतिनिधि हैं। अब तक इनके लिए कोई ड्रेस कोड नहीं था, लेकिन नई व्यवस्था से सभी एक निर्धारित पोशाक में रहेंगे। इससे यह साफ रहेगा कि मंदिर में कौन अधिकृत है और कौन नहीं।


