सरकार की ओर से संचालित मनरेगा सहित अन्य योजनाएं भी पलायन रोकने में विफल साबित हो रही है। प्रखंड क्षेत्र के लगभग सभी महादलित व दलित टोले के युवा रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश के ईंट भट्ठा पर काम करने के लिए पलायन कर चुके हैं। जिससे महादलित व दलित टोला में सन्नाटा पसरा हुआ है और लगभग 70% से अधिक घरों में ताला लटका हुआ है। क्षेत्र के अधिकांश महादलित टोले में बीमार और वृद्ध महिला पुरुष ही दिखाई देते हैं। बता दें कि सतगावां प्रखंड में किसी प्रकार का रोजगार के साधन नहीं होने के कारण परिवार का भरण पोषण और अन्य जरूरी काम पूरी करने के लिए महादलित परिवारों के साथ-साथ क्षेत्र के सवर्ण और पिछड़े वर्ग के युवा बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेश में जाकर मजदूरी करने को विवश हैं। 2020 में कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन के दौरान पूरे देश भर में रह रहे क्षेत्र के हजारों युवा व मजदूर जैसे तैसे कोई पैदल,साइकिल से,ट्रक से व अन्य साधन से घर पहुंच गए थे। जिल्लत झेलकर घर पहुंचे रहे प्रवासी मजदूरों ने दूसरे प्रदेश नहीं जाने और घर में ही रह कर कोई रोजगार करने की बात कही थी।उस दौरान झारखंड सरकार के द्वारा भी घोषणा की जा रही थी कि प्रवासियों को बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। जिससे उत्साहित प्रवासी मजदूर बिना सोचे समझे यहां रहकर ही काम करने की बात कर रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया घर में जमा व सरकार द्वारा मिलने वाला आर्थिक सहायता समाप्त होने लगा सारे गिले शिकवे भूलकर युवा पुनः दूसरे प्रदेश रोजगार के लिए पलायन कर गए।