डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू) में पिछले दिनों एक महिला स्टाफ और छात्र नेता के बीच हुए विवाद के बाद छात्रों के हंगामे और प्रदर्शन का मामला अब शांत होता दिख रहा है। हालांकि, इस विवाद के कारण विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों पर एक सप्ताह असर पड़ा था। हालांकि हंगामा के तत्काल बाद प्रभारी कुलपति डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने मामले की गंभीरता से लेते हुए जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी की एक बैठक भी हो चुकी है। इसी बीच, एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, विवाद में शामिल महिला स्टाफ और छात्र नेता दोनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को लिखित में दे दिया है कि उनके बीच अब कोई विवाद नहीं है। यह घटनाक्रम कई बड़े सवाल खड़े करता है : आखिर एक मामूली विवाद को इतना तूल क्यों दिया गया? कैंपस में छात्रों द्वारा इतना बड़ा हंगामा क्यों किया गया? और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सबसे महत्वपूर्ण, एक हफ्ते के बाद विवाद अचानक खत्म कैसे हो गया? इस पूरे प्रकरण में कैंपस में हुए हंगामे से सबसे ज्यादा नुकसान छात्रों का ही हुआ, क्योंकि इससे उनके शैक्षणिक और एडमिशन कार्य बाधित रहा था। इस तनावपूर्ण माहौल में प्रॉक्टर डॉ. राजेश कुमार सिंह और रजिस्ट्रार धनंजय द्विवेदी ने धैर्य से काम लिया। प्रभारी कुलपति डॉ. अंजनी कुमार मिश्र स्वयं पूरे मामले की निगरानी कर रहे थे। अब जब कैंपस का माहौल सामान्य हो गया है, एडमिशन का काम भी बिना किसी बाधा के चल रहा है। साथ ही, कदाचार मुक्त परीक्षाएं भी जारी हैं, जहां नकल करते पकड़े गए परीक्षार्थियों को तुरंत निष्कासित किया जा रहा है।