मुफ्त वाला कफन भी बेच रहे:चीरघर में पोस्टमार्टम के बाद मांग रहे 500 रु., न देने पर कहते हैं- बिना कफन के ले जाओ बॉडी

हादसा, हत्या या खुदकुशी समेत सभी मामलों में सरकारी अस्पतालों में पोस्टमार्टम के बाद कफन फ्री दिया जाता है। पर इस सिस्टम में काम करने वाले पोस्टमार्टम के बाद दुखी पीड़ित गरीब परिजन से कफन के लिए 500-500 रुपए मांग रहे हैं। पैसे नहीं देने पर बगैर कफन के शव ले जाने के लिए धमका रहे हैं। पीड़ित भी शव जल्दी पाने के लिए पैसे दे रहे हैं। शुक्रवार को ऐसे ही मामले में प्रदेश के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल में पोस्टमार्टम करने वालों ने कांकेर के आदिवासी मृतक अजीत के परिजन से कफन के लिए 500 रुपए मांगे। यह घटना भास्कर रिपोर्टर के सामने घटी। शिकायतों के बाद भास्कर टीम ने मृतकों के परिजन के साथ 10 दिन तक पड़ताल की। सरकार द्वारा फ्री में ​दिए जाने के बाद भी कफन बेचने के मामले प्रदेश के उन अस्पतालों में सामने आ रहे हैं, जहां पीएम होते हैं। ऐसी ही वसूली ​निशुल्क वाहन सेवा मुक्तांजलि में हो रही है। ड्राइवर शव ले जाते वक्त 500 रुपए मांगते हैं। बीते 10 माह में इस सेवा के तहत 42263 शव पहुंचाए गए। इस तरह करीब 22 लाख की वसूली की गई। कफन मिलाकर यह वसूली 40 लाख के पार पहुंच गई है। रायपुर में हर माह 250 से ज्यादा पीएम: जिला अस्पताल में रोज 2-3 मृतकों के शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं। हर माह 90 से ज्यादा पोस्टमार्टम हो रहे हैं। इसके लिए दो दैनिक वेतनभोगी रखे गए हैं। इसी तरह अंबेडकर अस्पताल में रोज 5-6 पोस्टमार्टम होते हैं। एम्स में भी पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है। हालांकि शिकायत सिर्फ जिला अस्पताल की मिली है। जहां पैसे मांगे जाते हैं। प्रदेश के दूसरे अस्पतालों में भी वसूली: प्रदेश के जिन सरकारी अस्पतालों में पीएम होता है, वहां भी वसूली की शिकायतें हैं। कर्मचारी लोगों से कफन, प्लास्टिक के डिब्बे और पॉलिथीन के नाम से 1000 रुपए तक वसूल रहे हैं। जबकि सरकार इसके लिए बजट में प्रावधान करती है। मुक्तांजलि सेवा के लिए सरकार ने 40 करोड़ रुपए रखे हैं। डीएमएफ फंड से जरूरत पर पैसे लिए जा सकते हैं। पीएम के लिए मांगी थी घूस अंबिकापुर के लुंड्रा इलाके में बीते महीने डूबने से दो चचेरे भाइयों की मौत के बाद पोस्टमार्टम कराने पहुंचे परिजन से डॉक्टर ने 10-10 हजार रुपए मांगे थे। परिजन ने गरीब होने की बात कही तो डॉक्टर ने 5-5 हजार रुपए देने को कहा। जांच के बाद डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया गया। बीएमओ सस्पेंड हुआ था। जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के दो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं। दोनों ही पोस्टमार्टम करते हैं। कफन अस्पताल से ही मिलता है। अगर दोनों ने पैसा लिया है तो मैं इसकी जांच कराता हूं। मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
– डॉ. पीयूष सिंह, प्रभारी पोस्टमार्टम शव वाहन की सेवा पूरी तरह नि: शुल्क है। इसमें ड्राइवर को किसी तरह का शुल्क या पैसा नहीं देना है। अगर कोई मांगता है तो यह गलत है। ऐसे लोगों की शिकायतें करें। इन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे कई लोगों को पहले निकाला जा चुका है।
-डॉ. कमलेश जैन, नोडल अफसर​​​​​​​

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