राजधानी रांची के अरगोड़ा चौक स्थित लिटिल हार्ट अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने नवजात की मृत्यु हो जाने के बाद भी उसे तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था। इलाज का नाटक करता रहा। नवजात के पिता मुकेश सिंह ने अरगोड़ा थाना में एफआईआर दर्ज करवाई है। उनका कहना है कि बार-बार पूछने के बावजूद उन्हें बच्चे की हालत की सही जानकारी नहीं दी गई। बच्चे से मिलने नहीं दिया जा रहा था। रांची डीसी ने दिए जांच के आदेश मीडिया रिपोर्ट्स और परिजनों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए रांची के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। डीसी कार्यालय की ओर से बताया गया कि मामले की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच समिति का गठन किया गया है। इस समिति में कार्यपालक दंडाधिकारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम शामिल है, जो सभी पहलुओं की जांच करेगी। दोषी पाए जाने पर होगी कड़ी कार्रवाई डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने स्पष्ट किया है कि अगर जांच में अस्पताल प्रबंधन या किसी भी संबंधित व्यक्ति की लापरवाही या दोष सामने आता है, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी। डीसी ने यह भी निर्देश दिए हैं कि जांच में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। स्वास्थ्य मंत्री बोले- प्रबंधन के खिलाफ होगी कार्रवाई इस मामले को लेकर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह बेहद संवेदनशील और गंभीर मामला है। अगर यह साबित होता है कि बच्चे की मौत के बाद भी उसे इलाज के नाम पर वेंटिलेटर पर रखा गया, तो संबंधित अस्पताल संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। परिजन कर रहे न्याय की मांग परिजनों को उम्मीद है कि मेडिकल रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो सकेगा कि बच्चे की मृत्यु कब हुई और क्या उसे वास्तव में मृत अवस्था में वेंटिलेटर पर रखा गया था। इस घटना ने राजधानी के निजी अस्पतालों में इलाज की पारदर्शिता और नैतिकता पर सवाल खड़ा कर दिया है। फिलहाल, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट का इंतजार है, जिससे सच सामने आ सके।