‘मेरी आंखों के सामने 5 लोगों की तड़प-तड़पकर मौत हुई’:महिला को हिलाया, आंखें खुली थीं, शरीर ठंडा पड़ चुका था; देवघर हादसे की आंखों देखी

सीन-1 सुबह के करीब साढ़े 5 बजे होंगे। बहुत तेज आवाज आई। गाड़ी में ड्राइवर नहीं था। वो सीट के साथ नीचे गिर चुका था। पीछे वाली सीट पर बैठा युवक उछलकर सामने की कांच से टकराया और लहूलुहान हो गया। सीन-2 हादसे के बाद बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को संभाला, फिर एक महिला को पास जाकर हिलाया। उनकी आंखें खुली थी, लेकिन शरीर ठंडा पड़ चुका था। मैं सन्न रह गया। सीन-3 टक्कर के बाद मैं सीट के नीचे दब गया। बस से निकली एक लोहे की रॉड मेरे पैर में लग गई। मैं दर्द के मारे चिल्ला रहा था। 5 लोगों ने मेरे सामने दम तोड़ दिया। ये आंखों देखी है उन लोगों की जो देवघर से बासुकीनाथ के लिए निकले थे। वहां भगवान शिव का जलाभिषेक कर इनकी कांवर यात्रा पूरी होती। देवघर से महज 18 किमी दूर ही बस, LPG सिलेंडर से भरे ट्रक से टकराई। ड्राइवर सीट समेत नीचे गिरा और उसकी जान चली गई। गाड़ी करीब 200 मीटर बिना ड्राइवर के चली और ईंट के ढेर पर जाकर टकराई, फिर रुक गई। इस हादसे में 5 कांवड़ियों और ड्राइवर की मौत हो गई। मृतकों में 4 बिहार के रहने वाले थे। 24 जख्मी हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। कुछ देवघर AIIMS में भर्ती हैं तो कुछ का सदर हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। पढ़िए देवघर हादसे की आंखों देखी… चश्मदीद 1- बस में सवार एक यात्री ने बताया- ‘मैं बस की दूसरी कतार में खिड़की के पास बैठा था। खिड़की से आती हवा और बारिश की हल्की फुहार के साथ देवघर बसे स्टैंड से बस खुली।’ ‘शहर से निकलकर अभी 18 किलोमीटर दूर ही गए थे कि अचानक ऐसा लगा कि सब कुछ थम गया, खत्म हो गया। आंखों के सामने हमारी बस और सामने से आ रहे ट्रक के बीच टक्कर हो गई।’ ‘जितना मैं समझ पाया बस का अगला हिस्सा ट्रक में धंसता चला गया। बस का आधा हिस्सा ट्रक से टक्कर के बाद बर्बाद हो चुका था। ड्राइवर सीट के साथ एक झटके में बस से नीचे गिरा और मौके पर ही उसकी जान चली गई।’ ‘बस बिना ड्राइवर के लगभग 200 मीटर तक चलती रही। इसके बाद बस सड़क किनारे पड़ी ईंटों से जा टकराई। मैं समझ ही नहीं पाया कि क्या हो रहा है।’ ‘किसी ने पीछे से चीखते हुए कहा – भगवान बचा लो। चारों ओर अफरा-तफरी मच गई थी। झोले, गमछे, कांवड़…सब उलझकर एक-दूसरे पर गिर चुके थे।’ ‘एक महिला कांवड़िए को मैंने हिलाया। वो कुछ नहीं बोली..उनकी आंखें खुली थीं लेकिन शरीर ठंडा पड़ चुका था। मैंने खुद को किसी तरह संभाला। कुछ लोग बस की फर्श पर पड़े कराह रहे थे। कुछ बेसुध थे। वहीं कुछ ऐसे लोग भी थे जो सड़क पर पड़े हुए थे। उनकी तो आवाज ही नहीं निकल रही थी।’ चश्मदीद- 2- बस में सवाल दूसरे यात्री ने बताया- ‘सुल्तानगंज से जल लेकर 3 दिन की लगातार पैदल यात्रा पूरी कर देवघर पहुंचा। बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित कर हम सभी कांवड़िए थोड़ा सुस्ता रहे थे। हमें आगे की यात्रा के लिए निकलना था।’ ‘थके-मांदे हम सभी देवघर बस स्टैंड पहुंचे। तब सुबह के करीब 5 बजे थे। हम थके तो थे, लेकिन उत्साह था कि अब बासुकीनाथ पहुंचकर भोलेनाथ को जल चढ़ाना है।’ ‘बस में मेरे साथ आए कुछ और कांवड़िए भी थे। बस में अलग-अलग जगहों से आए करीब 40 लोग सवार थे। एक तो सुबह का समय, दूसरी थकान। बस में कुछ लोग ऊंघ रहे थे, मुझे भी नींद आ रही थी।’ ‘कोई अपना झोला संभाल रहा था, कोई भजन गा रहा था, तो कोई मोबाइल से घर पर बात कर रहा था।’ ‘आधे घंटे भी नहीं हुए होंगे, अचानक तेज आवाज और एक जोरदार झटका लगा। मेरी आंख खुली तो देखा खून से सने लोग, चीख-पुकार, रोना सब कुछ चंद सेकेंड में एकसाथ हुआ। सीटें चटक रही थीं, कुछ लोग सीटों के नीचे दब गए, कुछ सड़क पर गिरे पड़े थे।’ ‘आसपास जो नजारा देखा, वो दिल दहलाने वाला था। कई श्रद्धालु खून से लथपथ सड़क पर पड़े थे। एक महिला चिल्ला रही थी- मेरे भईया अंदर हैं, उन्हें निकालो। आसपास के गांव वाले दौड़ते हुए आए। किसी ने पुलिस को फोन किया, किसी ने एंबुलेंस बुलाई।’ ‘हादसे के करीब 15 मिनट से आधे घंटे के आसपास मदद को टीम पहुंची। एंबुलेंस भी थी। एंबुलेंस ने एक के बाद एक घायलों को उठाया। 5 श्रद्धालुओं की मौत तो मौके पर ही हो गई। कई लोग घायल हो गए थे। जो यात्रा भगवान की भक्ति में शुरू हुई थी, वो अचानक मातम में बदल गई।’ चश्मदीद-3 बस में सवार तीसरे यात्री ने बताया- ‘मैं पीछे की सीट पर बैठा था। सामने से आ रहे ट्रक से हमारी बस टकराई। फिर कुछ दूर जाकर ईंट से ढेर से टकरा कर रुकी। अगर ईंट नहीं होती तो पता नहीं क्या होता, गाड़ी कहां जाकर रुकती या पलट जाती।’ ‘पूरी गाड़ी में चीख-पुकार मच गई। कहीं टूटी चप्पलें थीं, कहीं खून से सना भगवा गमछा। थोड़ा संभाला तो सुनाई दिया किसी कांवड़िए के मोबाइल की घंटी बज रही थी। शायद घर से फोन होगा- ये पूछने के लिए कि कहां पहुंचे।’ ‘बस की केबिन में बैठे लोगों को काफी चोट आई। सिर में चोट लगने से मौतें हुईं। शव फंस गए थे, जिन्हें बस की बॉडी तोड़कर निकाला गया।’ ‘इस हादसे में मैं बच गया, जिंदा हूं, ये एक चमत्कार ही है। भोलेनाथ की कृपा है, लेकिन उन छह श्रद्धालुओं की मौत, उनकी आखिरी चीख और बस की वो चटकती हुई बॉडी। वो सब अब भी आंखों के सामने घूम रहा है।’ —————– इसे भी पढ़िए… देवघर में बस-ट्रक भिड़े, 6 कांवड़ियों की मौत:इनमें 4 बिहार के; ड्राइवर सीट समेत सड़क पर गिरा, 100 मीटर बिना ड्राइवर के बिना चली बस देवघर में बस और ट्रक के बीच टक्कर में 6 कांवड़ियों की मौत हो गई। 24 कांवड़िए घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। हादसा मंगलवार सुबह 5 बजे देवघर के मोहनपुर प्रखंड के जमुनिया चौक के पास नावापुरा गांव में हुआ। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बस का आधा हिस्सा पूरी तरह से धंस गया। कांवड़ियों के झोले और सामान बस में लटके दिख रहे हैं। पूरी खबर पढें।

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