पंजाब सरकार पुराने प्रोजेक्ट पर ही अपनी तख्ती लगाकर वाहवाही ले रही है। हकीकत में विधायक कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं ला पाए हैं। बस स्टैंड का मामला अब तक अधर में है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में कुछ नहीं हुआ। थर्मल जमीन को भी डवलप नहीं कर पाए हैं। सरूपचंद सिंगला, प्रत्याशी, अकाली दल सरकार से मैंने 3 साल में हर क्षेत्र में कई काम करवाए हैं। मुल्तानिया पुल इसी साल में तैयार होगा। वाटर गेम्स के लिए रोइंग नर्सरी मंजूर करवाई है। बस स्टैंड के अलावा दोनों रिंग-रोड भी बनाई जा रही हैं। सीवर पर काम कर रहे हैं। पानी के प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। जगरूप गिल, शहरी विधायक भास्कर न्यूज । बठिंडा शहर में चॉक सीवरेज, ट्रैफिक जाम, गर्मियों में पेयजल संकट, नशे की चपेट में युवा और इसकी वजह से चोरी, लूट और अन्य अपराधों से परेशान जनता… ये शहर की वो बड़ी समस्याएं हैं, जिनका 3 साल में कोई समाधान नहीं निकल पाया है। हालांकि इन 3 साल में शहर को दो बड़ी सौगात भी मिली हैं। पहली, पूरे मालवा क्षेत्र का इकलौता गार्गी ऑडिटोरियम और दूसरा, मलोट से बादल रोड से सटी रिंग रोड। इस रोड पर पहले गड्ढे थे, पर अब पूरी रोड नई बनाई गई है। रोचक ये भी है कि सरकार ने यहां जितने भी प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं, उनमें 60 फीसदी से ज्यादा शुरू ही नहीं हो पाए हैं। किसी में सरकारी विभागों की अनुमति फंसी है तो किसी में फंड का इंतजार है। स्वास्थ्य सेवाओं में मशीनों से लोगों को राहत मिली है, लेकिन डॉक्टर्स के पद रिक्त होने से परेशानी भी है। { पानी की किल्लत से निपटने को थर्मल की झील नं. 1 पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मंजूरी लेकिन अभी तक जमीन ट्रांसफर नहीं हुई। { झीलों की खाली जमीन पर फूड हब एंड ब्यूटीफिकेशन को कैबिनेट से मंजूरी, काम शुरू होना बाकी। { 2 करोड़ रुपए की लागत से सरकारी आदर्श स्कूल में 22 कमरों का निर्माण डेढ़ साल बाद भी शुरू नहीं हुआ { बरनाला रोड ओवरब्रिज के साथ कैंट थाना के समीप डक्खट बनवाने के लिए 40 करोड़ के प्रोजेक्ट की मंजूरी, लेकिन काम शुरू नहीं। { 50 करोड़ के फंड से जनता नगर ओवरब्रिज प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली, वन विभाग की मंजूरी मिलनी बाकी है। { 2.70 करोड़ की लागत से गुरुकुल रोड से रिंग रोड टू तक सैरगाह की मंजूरी मिली, लेकिन काम शुरू नहीं। 1. नशा व अपराध : बठिंडा में इन तीन साल में न नशा कम हुआ और न ही अपराध। अब दिल्ली चुनाव में हार के बाद पंजाब सरकार ने पूरे प्रदेश में 1 मार्च से नशे के खिलाफ युद्ध शुरू किया है। लेकिन इस अभियान में छोटे तस्कर ही पकड़े गए हैं। यही स्थिति अपराध की है। हत्या, लूट, चोरी व नशेड़ियों से जनता सबसे ज्यादा परेशान है। संपर्क अभियान में भी पुलिस अफसर जनता में पहुंचे तो लोगों ने भी पुलिस पर नाखुशी जाहिर की थी। 2. शहर का ट्रैफिक : तीन साल में शहर के ट्रैफिक की हालत खराब ही हुई है। ट्रैफिक के नाम पर मलोट रोड पर 17 एकड़ में नया बस स्टैंड मंजूर किया गया है। जमीन ट्रांसफर के बाद इसका निर्माण शुरू होगा। बठिंडा से चंडीगढ़ हाईवे से जोड़ने वाली रिंग रोड का काम पूरा किया गया है। यह काम करीब 20 साल से चल रहा है। वहीं, मलोट-डबवाली रिंग रोड का जीर्णोद्वार किया गया है। 38 करोड़ से मुल्तानिया पुल का नवीनीकरण किया जा रहा है। पटियाला फाटक का निर्माण कछुआ गति से चल रहा है। 3. सीवरेज व पानी निकासी : ये शहर की सबसे बड़ी समस्या है और सबसे कम ध्यान ही इस पर दिया गया है। अभी शहर के 30 फीसदी से ज्यादा इलाकों में सीवरेज जाम है। जून बाद ये समस्या और बढ़ेगी। कारण, सीवरेज का जिम्मा निगम के हाथ में आ जाएगा। वहीं, हर बरसाती सीजन में शहर में पानी भर जाता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए 280 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ है। 4. स्वास्थ्य सेवाएं : सरकार के 3 साल के कार्यकाल में कहने को सरकारी अस्पताल में 10 डायलिसिस मशीनें, 50 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट, फिजियोथैरेपी सेंटर खुले हैं। 8 आम आदमी क्लीनिक खोले गए हैं, लेकिन आम जनता सबसे ज्यादा परेशान है डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ के रिक्त पदों से। डॉक्टर्स के 258 में से 115 पद खाली हैं। 143 पद भरे हुए हैं। शहर से चार हाईवे सटे हैं, लेकिन न्यूरोसर्जरी व कॉर्डियोलोजी या ट्रोमा सेंटर की सुविधा किसी सरकारी अस्पताल में नहीं है। 5. पीने का पानी: पेयजल की सबसे ज्यादा किल्लत शहर नहरबंदी और गर्मियों के दिनों में झेलता है। हालांकि अभी सरकार ने यहां दो प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। इनमें एक प्रोजेक्ट बाहरी इलाकों में पाइपलाइन बिछाने का है। इस पर करीब 38 करोड़ रुपए खर्च होंगे। दूसरा प्रोजेक्ट, शहर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट व स्टोरेज टैंक बनाने का है। बजट स्वीकृत हो चुका है, लेकिन तीन एकड़ जमीन ट्रांसफर नहीं हुई है। दोनों काम होने में समय लगेगा।