रंगमंच पर नजर आई राजस्थान की लोक परंपराएं:नाटक माई री मैं का से कहूं ने आरआईसी में बटोरी सुर्खिंया, एनएसडी के कलाकार आए नजर

राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में चल रहे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन नाटक ‘माई री मैं का से कहूं’ की प्रस्तुति हुई। इसमें राजस्थानी लोककथाओं की भव्यता से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विजयदान देथा की प्रसिद्ध कहानी ‘पहेली’ पर आधारित इस नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के चर्चित निर्देशक अजय कुमार ने किया है। यह नाटक आज के समाज में महिलाओं की स्थिति पर गहरी सोच को प्रेरित करता है। कहानी इस सवाल को उठाती है कि आधुनिक समाज में, जहाँ विज्ञान और तकनीक ने बड़े-बड़े मुकाम हासिल किए हैं, वहां भी महिलाओं को अपने अधिकारों और निर्णय लेने की स्वतंत्रता क्यों नहीं मिलती। नाटक में यह दिखाया गया कि जन्म से विवाह तक और फिर विवाह के बाद, महिलाएं कैसे अपने निर्णय लेने के अधिकार से वंचित रहती हैं। नाटक में राजस्थान की समृद्ध परंपराओं और लोककथाओं को खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया। मंच पर हर दृश्य, वेशभूषा और प्रकाश ने राजस्थान की आत्मा को जीवंत कर दिया। कलाकारों की शानदार अदाकारी ने दर्शकों को बांध लिया। प्रमुख भूमिकाओं में शिल्पा भारती, मधुरीमा तरफदार, सत्येन्द्र मलिक, अंकुर सिंह, मजीबुर रहमान गुप्ता, पोटशंगबाम रीता देवी, शिवानी भारतीया, अनंत शर्मा, अखिल प्रताप गौतम, बिक्रम लेप्चा, शाज़िया बटूल और सुमन कुमार ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। अवतार सहनी की मास्टरक्लास इस नाट्य महोत्सव का एक और मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध थिएटर डिजाइनर और निर्देशक अवतार सहनी की मंच प्रकाश एवं डिजाइन पर मास्टर क्लास थी। इसमें जयपुर के युवाओं ने थिएटर की तकनीकी बारीकियों को सीखा। कार्यशाला ने नई पीढ़ी के कलाकारों को मंच प्रकाश और डिजाइन के क्षेत्र में गहराई से समझ विकसित करने का मौका दिया।

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