रमहंस धारकुंडी आश्रम शाखा अमरकंटक में पंच दिवसीय धार्मिकोत्सव पर्व प्रारंभ

रमहंस धारकुंडी आश्रम शाखा अमरकंटक में पंच दिवसीय धार्मिकोत्सव पर्व प्रारंभ
अमरकंटक। मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली पवित्र नगरी अमरकंटक के वार्ड छः कपिलधारा रोड बांधा में स्थित परमहंस धारकुंडी आश्रम शाखा अमरकंटक में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी धार्मिक उत्सव के अंतर्गत एक जून को त्रिशूल पूजन होगा के साथ ही इस वर्ष श्री हनुमंत लाल जी (पाषाण प्रतिमा) की प्रतिष्ठा का आयोजन भी प्रारंभ किया गया है। यह कार्यक्रम 28 मई से 01 जून 2025 तक चलेगा। इसी परिप्रेक्ष्य में 28 मई को आचार्य ब्राह्मणों का वरण किया गया। ज्येष्ठ शुक्ल तीज गुरुवार 29 मई को यज्ञशाला प्रवेश, वेदी निर्माण, पूजन बाद कलश यात्रा निकाली गई जिसमें दर्जनों कन्याएं और महिलाएं कलश लेकर यात्रा में शामिल रही साथ ही आचार्यगण, भक्त, श्रद्धालु सभी नर्मदा नदी तट पर पहुंच कलश पूजन किया गया। पूजन बाद कलशों में पवित्र नर्मदा जल भर कर वापस यात्रा आश्रम पहुंची। पुनः आचार्यगणों ने पूजन प्रारंभ किया। आज 30 मई दिन शुक्रवार को हनुमंत लाल जी का अलग अलग अधिवास के क्रम चलते रहेंगे जैसे जलाधिवास, अन्नाधिवास, पुष्पाधिवास, सैयाधिवास आदि यह दो दिवसीय क्रम चलता रहेगा जो चौबीस चौबीस घंटे का विधान है। बाद में स्नपन मतलब अलग अलग तरीके से स्नान कराया जाता है जैसे औषधियों से स्नान, फूलों के रसों से स्नान, फलों के रसों से स्नान, अलग अलग जलो से स्नान आदि देव स्नपन के नाम से जाना जाता है। न्यास होता है, प्रतिष्ठा होती है तब जीवंत मूर्ति मानी जाती है। आगे यह क्रम सात मूर्धन्य पंडितों के सानिध्य में प्राण प्रतिष्ठा, पूजन, रामायण पाठ, हवन व अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते रहेंगे। पंडित नारायण प्रसाद पांडेय ने बताया कि पूजन मुख्य रूप से हनुमंत लाल जी का तीन दिवसीय अनुष्ठान (अधिवास या स्नपन) प्रारंभ हो गया है। इस वर्ष त्रिशूल पूजन भी विशेष रूप से होगा कारण की स्थान में मरम्मत कार्य हुआ जिससे स्थान  परिवर्तित होने के कारण खास पूजन विधि से उत्सव मनाया जाएगा। अमरकंटक आश्रम के प्रथम संरक्षक के रूप में ब्रह्मलीन पौराणिक बाबा जी की समाधि पूजन भी होगा। पंच दिवसीय धार्मिक उत्सव पर्व में दस ब्राह्मण आचार्य पहुंचे हुए है लेकिन सात आचार्य वर्णित है जो रीवा, बांदा जिले से विशेष आए हुए है। आचार्य पंडित युगल किशोर प्रमुख कर्मकांड के आचार्य है साथ ही आचार्य पंडित लवकेश पांडेय के अलावा अन्य आचार्यगण पूजन कार्य में सम्मिलित हुए हैं। आश्रम पूजन में दोनों समय सुंदरकांड का अखंड पाठ, रामचरितमानस का अखंड पाठ, रोजाना प्रातः श्री रुद्राभिषेक और सायंकालीन हवन। यह क्रम रोजाना सुबह शाम चलता रहेगा। आश्रम के व्यवस्थापक स्वामी लवलीन जी महाराज ने बताया कि धार्मिक उत्सव (वार्षिकोत्सव) का प्रतिवर्ष रुद्राभिषेक, अखंड रामचरित मानस आदि पूजन पाठ का कार्यक्रम आयोजित कराकर भंडारा प्रसादी कन्या, संत, ब्राह्मणों और भक्तों को कराया जाता है। मई 31 को हनुमंत लला जी विराजमान हो जाएंगे और 01 को हर वर्ष की तरह भव्य त्रिशूल पूजन, धुना पूजन, गुरु पूजन किया जाएगा। आश्रम के पूजन आदि में सभी भक्तगण यजमान होते है और अपनी श्रद्धा लगन से पूजन आराधना कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

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