राजधानी रायपुर में शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों पर भ्रामक जानकारी देने और प्राइवेट स्कूलों के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार करने की शिकायत थाना सिविल लाइन में की गई। ये आरोप और शिकायत कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी की ओर से की गई है। शिकायत में उप सचिव फरिया आलम सिद्धिकी, संचालक ऋतुराज रघुवंशी, उप-संचालक आशुतोष चावरे, जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय का नाम है। तिवारी ने बताया निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) लागू हुए 15 साल से अधिक हो चुके हैं। बावजूद इसके कई प्ले स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं। अधिकारियों ने खुद माना—रायपुर में 40 नर्सरी स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं तिवारी ने बताया- बिलासपुर HC के मुख्य न्यायाधीश की डिविजनल बेंच में लंबित जनहित याचिका WPPIL 22/2016 के जवाब में स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से 17 सितंबर 2025 को दाखिल शपथपत्र में यह स्वीकार किया गया कि रायपुर जिले में कुल 40 नर्सरी स्कूल बिना मान्यता के संचालित हैं। हालांकि, दस्तावेजों के अनुसार इन स्कूलों को पूर्व में (सत्र 2012-13 और 2015-16 में) RTE नियमों के तहत मान्यता दी जा चुकी थी और इन स्कूलों में 6-6 छात्र निशुल्क शिक्षा के तहत पढ़ रहे थे। डीईओ का बयान—सिर्फ नर्सरी चलाने वालों को मान्यता नहीं दी जाती लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय पब्लिक प्लेटफार्म पर जानकारी दे रहे हैं कि— “जो स्कूल नर्सरी के साथ पहली से लेकर आठवीं, दसवीं, बारहवीं तक संचालित हैं, उन्हें मान्यता दी जा रही है। जहां सिर्फ प्री-प्राइमरी (प्ले स्कूल) हैं, वहां मान्यता नहीं दी जाती।” तिवारी का कहना है कि ये भ्रामक बयान आरटीई अधिनियम की मूल भावना और राज्य सरकार की मान्यता प्रारूप की शर्तों के विपरीत है। एसोसिएशन अध्यक्ष ने भी स्वीकारा—छत्तीसगढ़ में नियम नहीं बने छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा— “प्ले स्कूलों के लिए राज्य में स्पष्ट नियम नहीं हैं। कुछ राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, गुजरात में इनकी निगरानी महिला और बाल विकास विभाग करता है। छत्तीसगढ़ में भी प्ले स्कूल संचालन के लिए नियम बनना जरूरी है।” इस बात को लेकर भी तिवारी ने आपत्ति जताते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता के खिलाफ भी शिकायत की है। गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा 25% आरक्षण का एडवांटेज 1 अप्रैल 2010 से छत्तीसगढ़ के सभी प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया गया था। इस अधिनियम के तहत हर निजी स्कूल को अपनी इंट्री क्लास (नर्सरी) में 25% सीटें गरीब, वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होती हैं। लेकिन, रायपुर में संचालित कई स्कूल इस नियम की अनदेखी कर रहे हैं। शिकायतकर्ता की मांग—झूठे शपथपत्र और मिलीभगत की हो जांच शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि इन सभी पर षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी एवं जनहित में ठगी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि इन सभी पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।