राम का जन्म रावण को मारने के लिए ही नहीं, संतों के रक्षा के लिए हुआ: तिवारी

भास्कर नयूज| महासमुंद ग्राम बेमचा के खल्लारी मंदिर परिसर में भागवत पुराण आयोजन के चौथे दिन बुधवार को पं. मिथलेश तिवारी ने बताया कि कैसे राघवेंद्र ने अवतार लिया मनु और सतरूपा ने भगवान नारायण की तपस्या की ओम नमो भगवते वासुदेवाय प्रभु नारायण प्रकट हुए तो बोले कि आपसे समान पुत्र चाहिए तो भगवान ने भी कहा दिया कि मेरे समान मैं कहां ढूंढने जाऊंगा। इसलिए मैं ही आपका पुत्र बन जाऊंगा। कथाकार ने बताया कि राम का जन्म रावण को मारने के लिए ही नहीं हुआ अपितु ब्राह्मण, गौ माता, देवताओं, संत साधुओं के हित के लिए उनकी रक्षा के लिए हुआ। भगवान को अगर केवल रावण को ही मारना होता तो बैकुंठ में बैठे बैठे ही मार देते। राम अवतार में मेरे प्रभु ने ब्राह्मणों की सेवा की देवताओं की सेवा की संतो साधुओं की सेवा की लेकिन गौ माता की सेवा नहीं कर पाए इसलिए प्रभु ने गौ माता कि सेवा के उद्देश्य से द्वापर में मेरे प्रभु ने कृष्ण अवतार लिया। गौ माता कि सेवा की और आज हमारा कितना दुर्भाग्य है कि उसी गौ माता की अपने ही हिन्दू राष्ट्र भारत की दुर्गति है। गौ सेवा तो जीवन में ही होनी ही चाहिए। गौ माता के रोम-रोम में देवताओं का वास है। गौ माता की सेवा अगर कर ली तो समझो तैंतीस कोटि देवताओं की पूजा कर ली। आप दान न करे तो चलेगा, पूजा पाठ न करे तो चलेगा भगवान कथा न चुने तो चलेगा तीर्थ स्थान न जाय तो चलेगा पर अगर गौ माता कि सेवा नहीं करी तो नहीं चलेगा। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को गौ सेवा तो जीवन में ही करनी चाहिए। पहली रोटी हमेशा गौ माता को दे गौ सेवा अगर कर ली तो आप चाहे कितने भी बड़े पापी हो नरक जाने से बच जायेंगे।

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