रायगढ़ के बजरमुंडा में मुआवजे की बंदरबांट:एक पेड़ को 10 जगह लगाया, कहीं मकान- शेड बनाए; 100 की जगह 415 करोड़ मुआवजा बांटा

रायगढ़ से लौटकर अश्विनी पांडेय की रिपोर्ट प्रदेश का सबसे बड़ा मुआवजा घोटाला रायगढ़ के बजरमुंडा गांव में हुआ है। यहां छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को कोयले की खदान 2020 में आवंटित की गई। तब मुआवजे के आंकलन में 100 करोड़ रुपए की राशि निकली, पर 7 अफसरों ने फर्जी तरीके से 415 करोड़ रुपए का मुआवजा बांट दिया। अब इस फर्जीवाड़े के सबूत खदान में दफन हो रहे हैं। जब दैनिक भास्कर की टीम इस गांव में पहुंची तो पता लगा कि फर्जी ढंग से मुआवजे के लिए जेसीबी से उखाड़कर पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया। एक ही पेड़ की 10 जगह फोटो हुई। शेड का खेल भी ऐसे ही खेल हुआ। मुआवजा मिलने के बाद दुकानदार शेड भी उखाड़ ले गए। पेड़, कुंआ और तालाब के नाम पर 100 करोड़ और शेड-मकान बनाकर 200 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा ले लिया गया। एक ही जमीन को सिंचित बताकर फसल, उसी पर पेड़ दिखाकर उसका मुआवजा ले लिया गया। संतोष नायक, यादलाल, भानूप्रताप ने जनरल स्टोर के नाम पर 1.26 करोड़ रुपए, सीढ़ी रूम के नाम पर 68 लाख और शेड के नाम पर 1.18 करोड़ का मुआवजा लिया। इस तरह 8 खसरों से 11 करोड़ रुपए मुआवजा ले लिया गया। मौके पर जांच दल को खंभे में लगा टीन शेड मिला। यहां भी जितने पेड़ बताए गए, उसके आधे ही मिले। एक ही जमीन पर कृषि, वृक्ष और मकान तीनों दिखाकर मुआवजा लिया गया है।
एक नजर में पूरा मामला शेड वाला मकान बनाया, मुआवजा मिलते ही मिटा दिए सबूत बजरमुंडा गांव में प्रवेश करते ही कोयले की खदान नजर आई। तेजी से चल रही खुदाई गांव के रिहायशी क्षेत्र के करीब पहुंच चुकी है। गांव में करीब 300 मकान हैं, पर अधिकतर में ताले लटके हैं। गांव के जमींदार अरुण राय ने बताया कि शासकीय और वन क्षेत्र को खोदा जा चुका है। निजी जमीनों की अब खुदाई शुरू हो गई है। अब यहां इतनी धूल उड़ती है कि रहना मुहाल है। जिन्हें मुआवजा ज्यादा मिला, वे रायगढ़ और घरघोड़ा शिफ्ट हो गए हैं। आदिवासी और हमारे जैसे कुछ लोग गांव नहीं छोड़ रहे हैं, क्योंकि पुनर्वास नीति के तहत हमें सरकार ने जमीन नहीं दी है। मुआवजे का खेल एसडीएस और आरआई ने मिलकर खेला। गांव के पास कुछ मकान बचे हैं, जिसमें न सीढ़ी है और न खिड़की-दरवाजे। जल्द ये भी ढहा दिए जाएंगे। जांच में निकले चौंकाने वाले ये तथ्य 2023 में बजरमुंडा के मुआवजा घोटाले की शिकायत राजस्व विभाग में हुई। 13 लोगों का दल जांच के लिए गया। उसने अपनी रिपोर्ट में इस तरह की गड़बड़ियां उजागर कीं। खेमानिधि, टुकलाल और नान्हीलाल को 13 खसरों के 34 करोड़ मिले। मुआवजे में आम के 66 पेड़ के लिए 6000 रुपए की दर से 8.15 लाख रुपए मिले, जबकि ये पेड़ थे ही नहीं। मौके पर एक ही नलकूप था, जबकि दो का मुआवजा लिया गया। भूमि सिंचित बताकर 49 लाख रुपए लिए गए। ऐसे ही महुआ, कटहल, आम, खम्हार के सैकड़ों पेड़ मौके पर मिले ही नहीं। जबकि वृक्षों के नाम 5 करोड़ से अधिक का मुआवजा दिया गया। धनीराम, लोकनाथ और रामलाल को 23 खसरों के मुआवजे में 8 करोड़ रुपए मिले। यहां टीन शेड का मकान बताकर 25.65 लाख रुपए मिले, जबकि वह माैके पर है ही नहीं। यहां अधिकांश खसरों को सिंचित बताकर एक फसल और वृक्ष दोनों का मुआवजा लिया गया। खसरा 14/11 पर आम के 37 पेड़ के नाम पर 4.57 लाख, सरई के 3 पेड़ के लिए 1.84 लाख रुपए लिए गए। जबकि मौके पर 5 ही आम थे।

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