रायपुर के बीटीआई ग्राउंड में गोंडवाना महोत्सव:14 दिसंबर तक प्रवेश बिल्कुल निःशुल्क; छत्तीसगढ़ी वेशभूषा-संगीत के खिले सुर

राजधानी रायपुर के बीटीआई ग्राउंड में मां पीतांबरा जन सेवा समिति की ओर से आयोजित 17 दिवसीय गोंडवाना राष्ट्रीय आजीविका एवं सांस्कृतिक कला महोत्सव में मंगलवार की शाम छत्तीसगढ़ी संस्कृति वेशभूषा का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने शानदार प्रस्तुतियों ने समा बांध दिया। कलाकार छत्तीसगढ़ी गेटअप के मंच पर उतरे तो दर्शकों की तालियों से पूरा परिसर गूंज उठा। सभी ने छत्तीसगढ़ी गीत पर रैंप वॉक कर सभी का दिल जीत लिया। प्रतिभागियों ने अपने फैशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा देने छत्तीसगढ़ी संस्कृति को अंगीकृत करने का संदेश भी दिया। वहीं बॉलीवुड और छत्तीसगढ़ी के सदाबहार गीतों ने शाम को और भी मनोरम बना दिया। शहर के प्रसिद्ध सिंगर्स ने मंच से एक से बढ़कर एक नगमे पेश कर महफ़िल को खुशनुमा कर दिया। महोत्सव के आयोजक वैभव सिंह सिसोदिया और सौरभ सिंह सिसोदिया ने बताया कि मेले में हर दिन विविधतापूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मेले की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां रोज़ाना हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। प्रवेश पूरी तरह निःशुल्क होने के साथ ही यहां सभी प्रकार की कलाकृतियां, हुनरमंद कारीगरों के स्टॉल, घरेलू उपयोग की आकर्षक वस्तुएं और मनोरंजन के अलग-अलग जोन एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं। लोग शॉपिंग के साथ-साथ सांस्कृतिक झलक का आनंद भी ले रहे हैं। गोंडवाना महोत्सव 14 दिसंबर तक प्रतिदिन आयोजित होगा, जहां आमजन के लिए कला, संस्कृति और मनोरंजन का शानदार संगम देखने को मिलेगा। गोंडवाना महोत्सव 2025 में सुरों का जलवा गोंडवाना महोत्सव 2025 में मंगलवार की शाम सुरों और संगीत का बेहतरीन संगम देखने को मिला। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. एन.के. निषाद द्वारा प्रस्तुत “घर घर दीया माता” से हुई, जिसने माहौल को भक्तिमय बना दिया। इसके बाद श तारा बोरकर ने जोश से भरपूर “अरपा पैरी के धार” राज्य गीत प्रस्तुत कर तालियों की गड़गड़ाहट बटोरी। हेमंत तिवारी ने रोमांटिक अंदाज में “चांद सी महबूबा हो मेरी कब” गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, तो योगिता जी ने “दिल तो है दिल” से भावनाओं को सुरों से जोड़ा। सरोज जी ने फिल्म काला पत्थर का सुपरहिट गीत “बाँहों में तेरी मस्ती के झोके” गाकर समां बांध दिया। सुबोध फ्रैंकलिन ने “प्यार के इस खेल में” और “गोरे रंग पे न इतना गुमान कर” जैसे लोकप्रिय गीतों से जमकर तालियां लूटीं। वहीं सारिका वर्मा ने “शायद मेरी शादी का ख्याल” प्रस्तुत कर दर्शकों को यादों के सफर पर ले गईं। कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा और हर प्रस्तुति पर श्रोताओं ने शानदार उत्साह दिखाया। महोत्सव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि गोंडवाना की धरती पर कला और संस्कृति के रंग हमेशा चमकते रहेंगे।

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