जापान का ‘मियाजाकी’ आम दुनिया के महंगे आमों में से एक है। एक से डेढ़ किलो की कीमत 3 लाख 45 हजार रुपए है। रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय आम महोत्सव में इस आम को प्रदर्शनी के लिए रखा गया है। इस महोत्सव में देश के कई राज्यों के 450 से अधिक किसानों ने 200 से ज्यादा किस्म के आमों की प्रदर्शनी लगाई है। इस आम महोत्सव में बस्तर के जंगलों में होने वाले छोटे और गोल मटोल आम भी लोगों को लुभा रहे हैं। यहां पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आम भी हैं। सूरजपुर में रिटायर्ड जनरल मैनेजर ने मियाजाकी समेत कई आम लगाए हैं, जिनकी रखवाली खूंखार डॉग्स करते हैं। यह आम महोत्सव 9 जून तक आम लोगों के लिए आयोजित किया गया है। हूर पाकिस्तानी आम भी, नेम प्लेट हटाया गया रायपुर की एक प्राइवेट संस्था ने आम की 50 से अधिक वैराइटी का शो-केस किया। इसमें एक आम का नाम हूर पाकिस्तानी था। इसका मतलब यह पाकिस्तान की अप्सरा है। एक आम की नस्ल को यह नाम दिया गया है। हालांकि, बाद में नेम प्लेट का हटा लिया गया। नेम प्लेट हटाने पर कर्मचारी ने क्या कहा? इस आम को लाने वाली संस्था के कर्मचारी विजय ने बताया कि, आम की वैराइटी को लेकर कुछ कंफ्यूजन था। इस वजह से नेम प्लेट हटा लिया गया है। हालांकि, चर्चा यह भी थी कि कुछ लोगों ने पाकिस्तानी नाम को लेकर आपत्ति जताई। इस वजह से आयोजकों ने आम के नेम प्लेट को हटा लिया। दूसरे पाकिस्तानी वैराइटी भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद लोगों में पाकिस्तान को लेकर रोष है। मगर पाकिस्तान से जुड़ी एक और वैराइटी आम महोत्सव में है। इसका नाम सिंधू है। पाकिस्तान के सिंध इलाके में इस आम की पैदावार होती है। हालांकि इसे भारतीय आम की नस्ल भी मानी जाती है। इस आम में गुठली बिल्कुल छोटी और पतली होती है। इसी वजह से सीड-लेस वैराइटी का आम भी कहा जाता है। सबसे महंगे आम की रखवाली करते हैं खूंखार कुत्ते सूरजपुर जिले के कमलपुर बाग में कोल इंडिया के रिटायर्ड जनरल मैनेजर राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने मियाजाकी आम अपने बाग में लगाया है। इसके अलावा, अफगानिस्तान, थाईलैंड, फिलीपींस जैसे विदेशों के आमों की वैराइटी अपने फॉर्म में लगाई है। वो इन महंगे किस्म के आमों को बेचते नहीं हैं, शौकिया तौर पर लगाते हैं। देशभर की प्रदर्शनियों में इन्हें शो केस करते हैं। उन्होंने बताया कि, हमारे बाग में इन महंगे और प्रीमियम आमों की रखवाली दो एलशेसियंस डॉग करते हैं। फॉर्म में हमने CCTV कैमरे भी लगा रखे हैं। विदेशी आम की किस्मों के पौधे मुंबई के कुछ इम्पोर्टर्स ने मंगवाकर दिए हैं। ये पौधे विदेशों से आते हैं। सरगुजा की मिट्टी और हवा पानी इन विदेशी किस्म के आमों की पैदावार के लिए बढ़िया होने की वजह से यह आम वहां लगाए जा रहे हैं। 2000 से ज्यादा आम की वैराइटी इस आम महोत्सव में 2 से लेकर 15 इंच तक के आम हैं। राष्ट्रीय आम महोत्सव में आम की 200 से अधिक किस्मों और आम से बने 56 व्यंजनों का प्रदर्शन किया जा रहा है। इस आम महोत्सव में छत्तीसगढ़ समेत देश के कई राज्यों के 450 से अधिक किसानों ने कई किस्मों के 2000 से ज्यादा आमों का प्रदर्शन किया है। CM ने उठाया सबसे बड़ा आम रायपुर और संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, छत्तीसगढ़ शासन इस आम महोत्सव का आयोजन कर रहा है। सीएम विष्णुदेव साय ने भी शनिवार को पहुंचकर सबसे बड़े आम को हाथ में लेकर तस्वीरें खिंचवाईं। उन्होंने कहा कि, आम के इन्ही विशिष्ट गुणों के कारण इसे फलों का राजा भी कहा जाता है। मैंने आज आम की दुर्लभ किस्में देखी जो अपने जीवन में इससे पहले नहीं देखी थी। इनमें से एक प्रजाति बीजापुर की हाथीझुल किस्म है। जिसका एक-एक फल दो किलो से लेकर चार किलो तक वजन का होता है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने मुख्यमंत्री और लोगों को जानकारी देते हुए कहा कि, यहां देश के कई हिस्सों से आए आम उत्पादक फलों और पौधों की बिक्री भी कर रहे हैं। डॉ. चंदेल ने मुख्यमंत्री साय को प्राकृतिक रूप से पके आमों की कई प्रजातियों से भरी टोकरी भी भेंट की।