फर्जी वंशावली के आधार पर 22 लोगों के सीसीएल में नौकरी और मुआवजा लेने के मामले की सीआईडी जांच शुरू हो गई है। चतरा के भू-अर्जन पदाधिकारी वैभव कुमार सिंह ने 29 मार्च को टंडवा थाने में यह केस दर्ज कराया था। इसे ईडी ने टेकओवर कर लिया है। एफआईआर में कहा गया है कि मामले सामने आने के बाद सिमरिया के अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने राजस्व शाखा चतरा को रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के मुताबिक सीसीएल पिपरवार क्षेत्र में नौकरी और मुआवजे के लिए फर्जी वंशावली बनाई गई। भूमि सत्यापन और जमीन के नक्शे में भी छेड़छाड़ की गई। आरोपयिों ने फर्जी सत्यापन रिपोर्ट से लेकर फर्जी मालिकाना हक से संबंधित दस्तावेज तैयार किया और नौकरी ले ली। जिन्हें फर्जी दस्तावेज पर नौकरी मिली, उनमें सुरेन भुइयां, सीमा भुइयां, सरिता देवी, बुधन भुइयां, गोपी भुइयां, किशन भुइयां, पूनम कुमारी, मनोहर राम, करन भुइयां, अमित कुमार, विजय भुइयां, बिरेन कुमार भुइयां, कौलेश्वर कुमार, इस्माइल अंसारी, इब्राहिम, रिजवान, अनवर अंसारी, आफताब अंसारी, शगुफ्ता अंजुम, नुमान अंसारी, मोहशीन कमल और खुर्शीद अंसल शामिल हैं। फर्जी लगान रसीद, हुकुमनामा व जमाबंदी भी जारी कर दिया गया वंशावली के सत्यापन में जांच कमेटी को पता चला कि अंचल के अधिकारियों-कर्मचारियों ने सीसीएल के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर फर्जीवाड़ा किया। इन लोगों ने फर्जी वंशावली, फर्जी लगान रसीद, हुकुमनामा, फर्जी जमाबंदी जारी कर धोखाधड़ी की। बाहर के व्यक्तियों को नौकरी दिलाई। फर्जी कागजात के आधार पर इस्माइल अंसारी, इब्राहिम व रिजवान मियां को नौकरी दी गई। संगठित गिरोह ने फर्जी दस्तावेज तैयार किया, इसमें कई है शामिल सीसीएल में विभिन्न परियोजनाओं में जमीन अधिग्रहण करते समय विस्थापित होने वाले व्यक्ति को मुआवजा और नौकरी देने का प्रावधान है। रिपोर्ट के मुताबिक एक संगठित गिरोह ने विस्थापित रैयतों से धोखाधड़ी कर गलत तरीके से नौकरी और मुआवजा ले लिया। इस काम में टंडवा अंचल और सीसीएल के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की संिलप्तता स्पष्ट रूप से प्रमाणित हो रही है। इनकी मिलीभगत से ही फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए हैं। जांच में ऐसे व्यक्तियों की संख्या बढ़ सकती है। बनावटी नक्शा बनाया, उसमें हस्ताक्षर भी फर्जी: जांच कमेटी ने जब जमीन के नक्शे की जांच की तो पता चला कि मौजा कनौदा में खाता संख्या-01, प्लॉट नंबर 40, रकबा 11.12 एकड़ भूमि का सत्यापन वर्ष 1997 का है। जबकि भूमि का नक्शा 2023 में तैयार हुआ। फर्जी तरीके से नक्शा तैयार कर 26 साल के अंतराल के बाद बनावटी नक्शा तैयार किया गया। इसमें हस्ताक्षर भी फर्जी निकला। एक ही भूमि का फर्जी तरीके से कागजात तैयार कर नक्शा बनाया गया। फलस्वरूप भूमि ओवरलैप हुई। सत्यापित भूमि का ओवरलैपिंग की वजह से अनुसूचित जाति वर्ग के लोगो को लाभ नहीं मिला। जांच में सोबराती मियां, भूतपूर्व जमींदार बाढ़ो मियां का वंशज होने तथा उस मौजा का निवासी होने की पुष्टि नहीं हुई।


