रिम्स के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान की बिल्डिंग में ही नई एमआरआई मशीन लगेंगी। निदेशक ने इस मामले में कहा कि हमने बिल्डिंग का केवल छोटा सा हिस्सा लिया है, जिसमें मशीन इंस्टॉल कराई जा सके। चूंकि भविष्य की योजना है कि नया ओपीडी कॉम्पलेक्स भी आरआईओ के आस-पास बनेगा। ऐसे में मशीन यहां रहने से ओपीडी पेशेंट्स को सुविधा मिलेगी। निदेशक ने भर्ती मरीजों की जांच को लेकर कहा कि जल्द ही रिम्स में दूसरी एमआरआई मशीन भी खरीदी जाएगी। इसके लिए टेंडर फाइनल किया जा चुका है। दूसरी मशीन के आते ही उसे पुराने भवन में स्थान चिन्हित कर इंस्टॉल कराया जाएगा जिससे केवल भर्ती मरीजों की जांच की जाएगी। हालांकि, जबतक दूसरी मशीन नही आती है तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत भर्ती मरीजों की जांच भी क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के रेडियोलॉजी सेंटर में की जाएगी। मरीज को यहां लाने के लिए अलग से ट्रॉली, स्ट्रेचर के साथ ट्रॉली मैन नियुक्त रहेंगे। वहीं उन मरीजों के लिए अलग से रास्ता भी दिया जाएगा जिससे अस्पताल व आरआईओ की दूरी कम से कम की जा सके। मशीन ऐसी जगह लगनी चाहिए जहां मरीजों को सुविधा हो निदेशक डॉ. राजकुमार ने कहा कि क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में स्थान का चयन तीन-चार कमेटी ने मिलकर किया है। पूर्व में चार स्थानों को फिलिप्स कंपनी के इंजीनियर ने रिजेक्ट कर दिया था। इसके बाद आरआईओ में इंस्टॉल करने का निर्णय लिया गया है। इसपर निदेशक ने यह भी कहा कि मशीन इंस्टॉल होने के बाद इसकी लाइफ 20 से 25 साल रहेगी। ऐसे में मशीन ऐसी जगह में इंस्टॉल होनी चाहिए कि भविष्य में होने वाली सिविल वर्क से इसे परेशानी न हो। पुरानी बिल्डिंग कमजोर हो चुकी है। सरकार इसे डिमॉलिश करने की भी योजना पर काम कर रही है।