3 से 5 दिसंबर से होने वाली RBI मीटिंग में रेपो रेट में कटौती का फैसला आ सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार RBI ब्याज दर में 0.25% से 0.50% तक की कटौती कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो बैंक आने वाले दिनों में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। ऐसे में अगर इन दिनों बैंक में FD कराने का प्लान बना रहे हैं तो इसमें देरी न करें। क्योंकि अगर बैंक ब्याज दारों कटौती कर देते हैं तो आपको FD पर कम ब्याज मिलेगा। स्टोरी में आगे बढ़ने से पहले ये जानते हैं कि रेपो रेट क्या है और इसका FD रेट्स से क्या कनेक्शन हैं
रेपो रेट वो ब्याज दर है जिस पर RBI (हमारा सेंट्रल बैंक) बाकी बैंकों को पैसा उधार देता है। RBI जब बैंकों का पैसे उधार देता है तो उनसे इस पर ब्याज लेता है, वही रेपो रेट कहलाता है। जब RBI रेपो रेट कम कर देता है, तो क्या होता है? एक छोटा सा उदाहरण: मान लो आप दुकानदार हो। ठीक वही बात है। RBI से सस्ता कर्ज मिला तो बैंक भी आपको FD पर कम ब्याज देने लगे। यानी रेपो रेट नीचे तो बैंक को सस्ता पैसा मिलता है FD की ब्याज दरें भी कम हो जाती हैं। वहीं अगर रेपो रेट ऊपर जाती है तो बैंक को महँगा पैसा मिलता है। FD की ब्याज दरें बढ़ जाती हैं। अब यहां देखें देख के प्रमुख बैंक FD पर अभी कितना ब्याज दे रहे हैं… FD कराते समय इन 3 बातों का रखें ध्यान 1. सही टेन्योर चुनना जरूरी
FD में निवेश करने से पहले उसके टेन्योर (अवधि) को लेकर सोच-विचार करना जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर निवेशक मेच्योरिटी से पहले विड्रॉल करते हैं, तो उन्हें जुर्माने का भुगतान करना होगा। FD मेच्योर होने से पहले उसे ब्रेक करने पर 1% तक की पेनल्टी देनी पड़ेगी। इससे डिपॉजिट पर कमाए जाने वाला कुल ब्याज कम हो सकता है। 2. एक ही FD में न लगाएं पूरा पैसा
यदि आप किसी एक बैंक में FD में 10 लाख रुपए का निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो इसकी जगह एक से ज्यादा बैंकों में 1 लाख रुपए की 8 FD और 50 हजार रुपए की 4 FD में निवेश करें। इससे बीच में पैसों की जरूरत पड़ने पर आप अपनी जरूरत के हिसाब से FD को बीच में ही तुड़वाकर पैसों की व्यवस्था कर सकते हैं। आपकी बाकी FD सेफ रहेंगी। 3. 5 साल की FD पर मिलती है टैक्स छूट
5 साल की FD को टैक्स सेविंग्स FD कहा जाता है। इसमें निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत आप अपनी कुल आय से 1.5 लाख रुपए की कटौती का दावा कर सकते हैं। आसान भाषा में इसे ऐसे समझें, आप सेक्शन 80C के माध्यम से अपनी कुल कर योग्य आय से 1.5 लाख तक कम कर सकते हैं।


