लुधियाना के सरकारी अस्पताल ने रक्तदान लेना पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इस समय ब्लड बैंक में मात्र 10-15 यूनिट रक्त ही बचा है। घटना जगराओं के सरकारी अस्पताल की है। अस्पताल के ब्लड बैंक में डॉक्टर (बीटीओ) की बदली होने के बाद परेशानियां बढ़ गई है। स्थानीय निवासियों को इस समस्या के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपात स्थिति में रक्त की आवश्यकता पड़ने पर उन्हें 35-40 किलोमीटर दूर दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है। सरकारी अस्पताल प्रशासन ने मरीजों के लिए कोई स्थानीय विकल्प भी उपलब्ध नहीं कराया है। पहले जगराओं में कई समाजसेवी संस्थाएं नियमित रूप से रक्तदान शिविर आयोजित करती थीं। इससे मरीजों को रक्त की कमी का सामना नहीं करना पड़ता था। हर एक कैंप के दौरान 40 से 50 यूनिट के करीब ब्लड बैंक में खून जमा होता था। लेकिन जब से डॉक्टर की बदली हुई है। एक यूनिट भी खून का ब्लड बैंक में जमा नही हुआ, लेकिन अब ब्लड बैंक के स्टाफ को अन्य विभागों में तैनात कर दिया गया है और पूरा ब्लड बैंक सिर्फ एक व्यक्ति के भरोसे चल रहा है। त्वचा रोगों के लिए भी कोई स्थायी डॉक्टर नहीं
लगभग दो लाख की आबादी वाले जगराओं शहर के इस सबसे बड़े अस्पताल में अन्य समस्याएं भी हैं। यहां जच्चा-बच्चा अस्पताल भी है, लेकिन स्कैन के लिए कोई स्थायी कर्मचारी नहीं है। रोजाना सिर्फ डेढ़ घंटे के लिए बाहर से किसी को बुलाया जाता है। त्वचा रोगों के लिए भी कोई स्थायी डॉक्टर नहीं है। त्वचा रोग विशेषज्ञ सप्ताह में केवल एक दिन, सोमवार को ही आते हैं। वही जगराओं समेत सिधवा बेट रायकोट दाखा हलवारा सुधार के मरीज भी इसी अस्पताल में अपना इलाज करवाने आते है। वही अगर किसी सड़क हादसे के मरीज को खून की जरूरत हुई तो उसे सीधा लुधियाना जाना पड़ेगा ब्लड बैंक के इंचार्ज सुखविंदर सिंह ने बताया कि रक्तदान लेना बंद कर दिया गया है, लेकिन मरीजों को अभी उपलब्ध रक्त दिया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक अस्पताल को नया डॉक्टर नहीं मिलता, तब तक ब्लड बैंक पूरी तरह से बंद रहेगा।