लुधियाना के रानी झांसी रोड पर एक बिल्डिंग प्रोजेक्ट के बाहर खड़े आठ हरे-भरे पेड़ों को रसायनिक वस्तु (केमिकल) डालकर सूखा दिया गया। शहर की पर्यावरण संस्था पब्लिक एक्शन कमेटी व लुधियाना पर्यावरण बचाओ समिति ने आरोप लगाया है कि ये पेड़ जानबूझकर सूखाए गए हैं। इस मामले में पब्लिक एक्शन कमेटी के इंजीनियर कपिल देव ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, डिप्टी कमिश्नर लुधियाना, म्यूनिसिपल कमिश्नर और डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) को 22 सितंबर को शिकायत भेजी थी। लेकिन आज 8 अक्टूबर हो चुकी है और प्रशासन की ओर से कोई जांच या कार्रवाई शुरू नहीं की गई। शिकायत में लगाए गए मुख्य आरोप
इंजीनियर कपिल अरोड़ा का कहना है कि पेड़ों को रसायनिक वस्तु (केमिकल) डालकर सुखाया गया है तनों और जड़ों की हालत देखकर साफ है कि यह प्राकृतिक रूप से नहीं सूखे। पेड़ एक इमारत के सामने ही सूखे हैं जिससे साफ है कि इन पेड़ों के सूखने से किसको फायदा होगा। कपिल ने कहा कि PAC सदस्यों ने नगर निगम कमिश्नर और हॉर्टिकल्चर इंजीनियर को वॉट्सऐप और फेसबुक लाइव वीडियो भेजकर जानकारी दी थी। मिट्टी और तनों के जांच की मांग कपिल ने बताया कि मिट्टी और तनों के सैंपल की जांच किसी मान्यता प्राप्त लैब से कराने की मांग की गई है। अगर जांच में रसायनिक वस्तु (केमिकल) डालने की पुष्टि होती है, तो “ट्री प्रिजर्वेशन पॉलिसी 2024” के तहत एफआईआर दर्ज की जाए और उसी स्थान पर स्थानीय प्रजाति के पेड़ दोबारा लगाए जाएं। कपिल देव व उनके सहयोगियों ने कहा कि क्या लुधियाना में पेड़ों को केमिकल देकर सुखाना “ट्री प्रिजर्वेशन पॉलिसी 2024” का उल्लंघन नहीं है? क्या नगर निगम या फॉरेस्ट विभाग ने इस क्षेत्र का कोई निरीक्षण किया है? पर्यावरण के साथ नहीं बल्कि कानून के साथ भी अन्याय पर्यावरण प्रेमी बोले कि पेड़ों को इस तरह सुखाना सिर्फ पर्यावरण के साथ नहीं बल्कि कानून के साथ भी अन्याय है। यह विकास के नाम पर प्रकृति की हत्या है। अगर पांच दिन में जांच शुरू नहीं हुई, तो हम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) का दरवाजा खटखटाएंगे। इस मामले में नगर निगम लुधियाना लैंडस्केप अवसर किरपाल सिंह से बात की तो उन्होंने कहा मामला मेरे ध्यान में है। मैं इस मामले में जांच कर रहा हूं। पेड़ों व मिट्टी के सैंपल चेक करवाए जाएंगे। अगर कोई जहर पाया जाएगा तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।


