लुधियाना में निकाय चुनाव में आप सबसे बड़ी पार्टी:बहुमत से 7 सीट पीछे, बैसाखियों के सहारे बनेगा शहर का मेयर

पंजाब के लुधियाना में नगर निगम चुनाव में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है। आप ने 41 वार्ड जीते, लेकिन मेयर चुनने के लिए जरूरी 48 का आंकड़ा हासिल नहीं कर पाई। आप मेयर कुर्सी से 7 सीट पीछे है। आप को खोना पड़ सकता डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर का पद किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है इस कारण अब जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है। इस बार शहर का जो मेयर बनेगा वह गठजोड़ की बैसाखी से बनेगा। यदि आप अपना मेयर बनाती है तो सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद उन्हें गठजोड़ पार्टी को देना पड़ सकता है। उधर, कांग्रेस और आप हाईकमान में भी निकाय चुनाव के बाद अब गठजोड़ की चर्चाएं देर रात ही शुरु हो गई थी। 63 पार्षदो वाली कांग्रेस 30 सीटों पर ही सिमटी
2018 के चुनाव में 63 सीटों को जीत कर दबदबा रखने वाली कांग्रेस 30 सीटों पर सिमट गई, जबकि भाजपा ने 19 सीटें जीतीं। शिरोमणि अकाली दल को सिर्फ दो सीटें मिलीं और तीन निर्दलीय भी विजयी हुए।
इसके विपरीत, 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 95 वार्डों में से 63 पर कब्जा किया था, जिसमें शिरोमणि अकाली दल ने 11, भाजपा ने 10, लोक इंसाफ पार्टी ने 7, आप ने सिर्फ 1 पर कब्जा किया और चार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। आप विधायकों को लोगों ने दिया बड़ा झटका
चुनाव नतीजों ने आप के विधायकों को बड़ा झटका दिया, जिसमें दो मौजूदा विधायकों की पत्नियां हार गईं। विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की पत्नी सुखचैन कौर बस्सी वार्ड नंबर 61 में कांग्रेस उम्मीदवार परमिंदर कौर इंदी से हार गईं। इसी तरह, विधायक अशोक पराशर पप्पी की पत्नी मीनू पाराशर वार्ड नंबर 77 से हार गईं, जहां भाजपा उम्मीदवार पूनम रात्रा विजयी रहीं। कांग्रेस को भी झटका लगा, क्योंकि पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु की पत्नी ममता आशु वार्ड नंबर 60 से हार गईं। हालांकि, आप ने प्रमुख परिवारों के बीच कुछ जीत देखी, क्योंकि विधायक अशोक पराशर के भाई राकेश पाराशर ने वार्ड नंबर 90 में जीत हासिल की, और विधायक मदन लाल बग्गा के बेटे अमन बग्गा ने वार्ड नंबर 94 में जीत हासिल की। विधायक कुलवंत सिंह सिद्धू का बेटा युवराज सिद्धू अपने वार्ड से जीत गए। कम मतदान ने डाला नतीजों पर असर​​
कम मतदान ने चुनावी नतीजों पर काफी असर डाला। चुनावों में मतदाता मतदान में गिरावट देखी गई, जिसमें केवल 46.95% मतदाताओं ने अपने वोट डाले, जबकि 2018 के चुनावों में 59.08% मतदाताओं ने अपने वोट डाले थे। मतदाता जनसांख्यिक में 11.65 लाख पात्र मतदाता शामिल थे – 6.24 लाख पुरुष, 5.40 लाख महिलाएँ और 103 थर्ड-जेंडर मतदाता। पुरुषों में मतदान 48.37%, महिलाओं में 45.34% रहा, जबकि थर्ड-जेंडर श्रेणी में मात्र 15.53% भागीदारी दर्ज की गई।

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