पंजाब के लुधियाना में दो संदिग्ध लोगों ने मुंबई पुलिस को एक स्मॉल बैंक की समराला शाखा से धोखा दिया और अपने दो बैंक खातों से 16 लाख रुपए निकालने में कामयाब रहे। जिन्हें पुलिस ने कुछ संदिग्ध लेनदेन के बाद सीज कर लिया था। लेनदेन करने के बाद आरोपियों का पता नहीं चल पाया और उनके मोबाइल फोन नंबर बंद हो गए। बैंक की शिकायत के बाद पुलिस ने दर्ज की FIR बैंक के कैशियर की शिकायत के बाद समराला पुलिस ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के गांव खेड़ा मस्तान के अरुण और हरियाणा के पानीपत के आशीष कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। उनके एक सहयोगी की अभी पहचान नहीं हो पाई है। पुलिस को बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत का भी शक है। अपनी होम शाखा छोड़ समराला शाखा में लगवाए 2 चेक शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपियों के लुधियाना-चंडीगढ़ रोड शाखा में दो व्यक्तिगत खाते और एक चालू खाता है। 16 अक्टूबर को आरोपी अपनी होम ब्रांच जाने के बजाय 8-8 लाख रुपए के 2 चेक लगाने के लिए समराला शाखा में पहुंचे। उनके साथ बैंक के दो पूर्व कर्मचारी भी थे। शिकायतकर्ता ने बताया कि आरोपी को 16 लाख रुपए का भुगतान करने के कुछ ही मिनटों बाद बैंक को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत मिली। जिसमें कहा गया था कि आरोपियों ने धोखाधड़ी के जरिए अपने खातों में पैसे प्राप्त किए हैं। कुछ ही मिनटों बाद बैंक को मुंबई पुलिस के सीआईडी विभाग से खातों के बारे में एक नोटिस मिला, जिसमें कहा गया था कि खाते ब्लॉक कर दिए गए हैं। होम ब्रांच के बजाय समराला ब्रांच से निकाले पैसे बैंक अधिकारियों को संदेह था कि आरोपियों को पता था कि उनके खाते ब्लॉक कर दिए गए हैं। जिसके बाद उन्होंने अपनी होम ब्रांच के बजाय समराला ब्रांच से नकदी के लिए संपर्क किया। अधिकारियों ने यह भी बताया कि बैंक के एक पूर्व कर्मचारी ने उसी दिन शाखा में नकदी की उपलब्धता के बारे में पूछताछ की थी। जिस दिन आरोपियों ने लेनदेन किया था। शिकायत के बाद खन्ना के SSP अश्विनी गोटियाल ने जांच के आदेश दिए थे। जांच में पुलिस DSP समराला ने पाया कि आरोपियों ने बैंक के एक कर्मचारी की मदद से 3 जुलाई को बैंक खाते खोले थे। मामले की जांच में जुटी पुलिस मामले की जांच कर रहे ASI अवतार चंद ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ BNS की धारा 316 (2) और 318 (4) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। संदेह है कि आरोपी ऑनलाइन धोखाधड़ी से जुड़े हुए हैं। पुलिस बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। धोखाधड़ी के बाद एक कर्मचारी ने नौकरी छोड़ दी और किसी दूसरे बैंक में नौकरी कर ली।


