लैंड पूलिंग पॉलिसी पर सरकार के यू-टर्न की इनसाइड स्टोरी:किसानों, विरोधियों व अपनों के दबाव पर झुकी सरकार; 2027 चुनाव भी फैक्टर

पंजाब सरकार ने अपनी लैंड पूलिंग पॉलिसी वापस ले ली है। मात्र तीन महीनों में सरकार बैकफुट पर आ गई। किसान और विरोधी दलों के भारी विरोध के बाद जब अपनी ही पार्टी में विरोधी सुर उठने लगे तो सरकार 2027 विधानसभा चुनाव के खतरे को भांप गई।
आम आदमी पार्टी नहीं चाहती कि 2020 के बाद जो नुकसान भाजपा ने तीन कृषि कानूनों को लेकर उठाया, वैसा ही हालत पंजाब में सरकार को उठाना पड़े। हालांकि पंजाब के फाइनेंस मिनिस्टर हरपाल सिंह चीमा का कहना है कि सरकार किसानों के लिए लैंड पूलिंग पॉलिसी लेकर आई थी, लेकिन वह पॉलिसी किसानों को पसंद नहीं आई। इसी कारण से पॉलिसी वापस ली गई है। इस पॉलिसी से लेकर वापस लेने की कहानी पांच प्वाइंटों में – 1. पॉलिसी के बाद पार्टी के अंदर भी उठे सवाल पंजाब सरकार ने जैसे ही लैंड पूलिंग पॉलिसी लागू की और जिन क्षेत्रों में जमीन ली जानी थी, उनकी निशानदेही की गई, इसके बाद से पूरे पंजाब में इसका विरोध शुरू हो गया। किसान और राजनीतिक दल तो पार्टी को घेर ही रहे थे, लेकिन पार्टी के अंदर भी इसको लेकर स्वर उठने लगे। मोगा और फतेहगढ़ साहब समेत कई जगह आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। इसी तरह सांसद मालविंदर सिंह कंग ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली और लिखा कि सरकार को लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर किसान नेताओं से बातचीत करनी चाहिए। उसके बाद ही आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि, बाद में उन्होंने यह पोस्ट डिलीट कर दी। लेकिन चर्चा गरमा गई। 2.गांवों में हुई नोट एंट्री के लगे बैनर एक तरफ जहां पंजाब सरकार खुद को राज्य की सबसे बड़ी हितैषी बता रही थी, वहीं गांवों में विधायकों और आप कार्यकर्ताओं का विरोध होने लगा। गांवों में पोस्टर लग गए थे कि गांवों में आप नेता प्रवेश न करें। किसानों के मन में एक बात साफ आ गई थी कि सरकार हमारे खेतों को छीनने वाली है। मामला जमीन से जुड़ा होने के चलते सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ता ही जा रहा था। 3.विरोध दबाने के लिए पॉलिसी में संशोधन जब एक तरफ किसान विरोध कर रहे थे और राजनीतिक पार्टियां भी मामले को उठा रही थीं, तो सरकार ने 22 जुलाई को हुई कैबिनेट मीटिंग में लैंड पूलिंग में संशोधन किया। सरकार ने तय किया कि लैंड पूलिंग में जमीन के बदले किसानों को प्लॉट का कब्जा देने तक सरकार उन्हें 1 लाख रुपए सालाना देगी। अगर इसमें देरी होती है, तो हर साल इस राशि में 10 फीसदी इजाफा किया जाएगा। जब तक क्षेत्र विकसित नहीं होता है, किसान उस पर खेती कर पाएंगे। किसी तरह की कोई रजिस्ट्री नहीं रोकी गई। किसान को मिलने वाले किराए में 5 गुना बढ़ोतरी की गई। योजना में शामिल होने की सहमति पर भी 50 हजार का चेक मिलेगा। लेटर ऑफ इंटेंट 21 दिन में जारी होगा। 4.आल पार्टी में नहीं पहुंची AAP पंजाब ने जुलाई महीने में विधानसभा सत्र बुलाया था। यह सत्र बेअदबी कानून और पंजाब की डैमों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर था। लेकिन इसमें लैंड पूलिंग के खिलाफ सवाल उठे। विरोधी दलों ने सरकार को घेरा। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से किसान भवन में 18 जुलाई को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई गई। लेकिन इसमें आम आदमी पार्टी को छोड़कर सभी दलों के नेता शामिल हुए। किसानों का कहना था कि सरकार पॉलिसी से जुड़े सवालों का जवाब देना नहीं चाहती है। इस वजह से यह कदम सरकार ने उठाया है। इसके अलावा राज्य में धरने, ट्रैक्टर मार्च और रैलियां शुरू हो गईं। 5. हाईकोर्ट ने उठाए थे दो सवाल इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा। जैसे ही छह अगस्त को मामले की सुनवाई हुई, तो सरकारी वकीलों ने किसानों के जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय मांगा। हाईकोर्ट ने उस दौरान एक दिन के लिए पॉलिसी पर स्टे लगाया। जबकि जब 7 अगस्त को सुनवाई हुई, तो सरकारी वकील कोई मजबूत तर्क नहीं रख पाए। अदालत सरकारी तर्कों से सहमत नहीं थी। 7 अगस्त को हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को लैंड पूलिंग पॉलिसी पर फटकार लगाई थी। किसानों के वकील ने तर्क दिया था कि 1947 के बंटवारे में भी किसानों को बड़ा नुकसान हुआ था और आज तक उनका नुकसान पूरा नहीं हो पाया। मोहाली में पहले लागू पॉलिसी के तहत भी कुछ लोगों को प्लॉट नहीं मिले हैं। अदालत ने पूछा था कि यदि 65 हजार एकड़ जमीन इस पॉलिसी के तहत ली जाती है, तो वहां उगने वाले अनाज का क्या होगा और खेत मजदूरों का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा। हाईकोर्ट ने साफ कहा था कि सरकार या तो यह पॉलिसी वापस ले, वरना अदालत इसे रद्द कर देगी। सरकारी वकीलों ने कहा था कि वे सरकार से चर्चा कर उचित जवाब देंगे। कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्तों का समय दिया था।

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *