BJP सांसद और JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने मंगलवार को कहा कि सरकार व्यापक हितों के लिए वक्फ बोर्ड में संशोधन कर रही है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। पाल ने कहा, “अगर यह सरकार वक्फ में संशोधन कर रही है, तो यह केवल भलाई के लिए है। वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है, न कि धार्मिक निकाय। मोदी सरकार ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया था। जिसके बाद से मुस्लिम संस्था वक्फ बोर्ड ने इसका विरोध कर रही है। 17 मार्च को दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन हुआ था जगदंबिका पाल ने कहा कि JPC ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को बुलाया था, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। बिल केवल उनके अपने हित के लिए होगा, यह देश के मुसलमानों और अल्पसंख्यकों को गुमराह करने का एक प्रयास है। दिल्ली में प्रदर्शन के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कार्यालय सचिव मोहम्मद वकार उद्दीन लतीफी ने 23 मार्च को नोटिस जारी कर प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की थी। 26 को पटना में और 29 को विजयवाड़ा में प्रदर्शन होगा आंदोलन के पहले चरण में 26 मार्च को पटना और 29 मार्च को विजयवाड़ा में विधानसभाओं के सामने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इन धरनों में AIMPLB की केंद्रीय नेतृत्व टीम, विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों के राष्ट्रीय और प्रांतीय प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। साथ ही सिविल सोसाइटी, अल्पसंख्यक समुदायों के प्रमुख प्रतिनिधि और दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्गों के नेता भी इन आंदोलनों में भाग लेंगे। प्रदर्शन के माध्यम से संदेश देना की विधेयक से समर्थन वापस – डॉ. इलियास प्रवक्ता डॉ. इलियास ने कहा कि इन दोनों धरनों के माध्यम से बीजेपी की सहयोगी पार्टियों को एक स्पष्ट संदेश देना है, या तो वे इस विधेयक से अपना समर्थन वापस लें, या फिर हमारे समर्थन से वंचित हो जाएं। डॉ. इलियास के अनुसार, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस आंदोलन के लिए एक चरणबद्ध योजना तैयार की है। इसके तहत देश के प्रत्येक राज्य की राजधानी में विरोध कार्यक्रम होगा। हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, पंजाब और रांची में बड़े स्तर पर जनसभाएं होंगी। इसके साथ ही सिट-इन धरने और मानव श्रृंखलाएं भी बनाई जाएंगी। इससे पहले इलियास ने दावा किया था कि सरकार का उद्देश्य हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन पैदा करना और देश में अशांति भड़काना है। वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा था कि देश भर में वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन समझ में आता है क्योंकि केवल एक विशेष धर्म को निशाना बनाया जा रहा है। सभी धर्मों से धर्मार्थ गतिविधियां जुड़ी हुई हैं और मुसलमान ये गतिविधियां वक्फ के माध्यम से करते हैं। जब किसी विशेष धर्म को निशाना बनाया जाता है, तो तनाव पैदा होता है।” ओवैसी बोले थे- एक रात में 655 पन्ने पढ़ने को दिए, ये कैसे संभव 27 जनवरी को वक्फ संशोधन अधिनियम पर JPC की बैठक में 44 संशोधनों पर चर्चा की गई थी। भाजपा की अगुवाई में NDA सांसदों के 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया था, जबकि विपक्ष के संशोधनों को सिरे से खारिज कर दिया गया था। कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, हमें कल रात 655 पन्नों की ड्रॉफ्ट रिपोर्ट मिली। 655 पन्नों की रिपोर्ट को रातों-रात पढ़ना असंभव है। मैंने असहमति जताई है और संसद में भी इस विधेयक का विरोध करूंगा। बजट सत्र में पेश की जाएगी रिपोर्ट, 4 अप्रैल से शुरू जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी(JPC) वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी रिपोर्ट बजट सत्र के दौरान पेश करेगी। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का मकसद डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी सिस्टम में सुधारों को लाकर इन चुनौतियों को हल करना है। वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए अधिनियमित 1995 के वक्फ अधिनियम की लंबे समय से कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना की जाती रही है। 22 अगस्त, 2024 को पहली बैठक हुई थी संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में वक्फ बिल पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष की आपत्ति और भारी विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के JPC को भेज दिया गया था। वक्फ बिल संशोधन पर बनी 31 सदस्यीय JPC की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी। बिल में 44 अमेंडमेंट्स पर चर्चा होनी थी।