वन नेशन, वन इलेक्शन बिल सोमवार को पेश नहीं होगा:लोकसभा की रिवाइज्ड लिस्ट से हटाया गया; शीतकालीन सत्र का 20 दिसंबर को आखिरी दिन

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल लोकसभा में सोमवार, यानी 16 दिसंबर को पेश नहीं किया जाएगा। इससे जुड़े दोनों बिल को लोकसभा की रिवाइज्ड लिस्ट से हटा दिया गया है। इससे पहले 13 दिसंबर के कैलेंडर में कहा गया था कि सोमवार को बिल लोकसभा में रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, अब फाइनेंशियल बिजनेस के पूरा होने के बाद बिल सदन में पेश किया जाएगा। हालांकि, सरकार बिल को आखिरी समय में भी लोकसभा स्पीकर की परमिशन के बाद सप्लीमेंट्री लिस्टिंग के जरिए सदन में पेश कर सकती है। कैबिनेट ने 12 दिसंबर को बिल की मंजूरी दी थी। लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा हुई थी। अब तक प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और राजनाथ सिंह इस पर बोल चुके हैं। 16 और 17 दिसंबर को अब राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होगी। संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था, जो 20 दिसंबर को खत्म होगा। इन बिलों में संशोधन किए जाएंगे 1. पहला बिल: 129वां संविधान संशोधन पेश किया जाएगा। संविधान संशोधन के जरिए एक नया अनुच्छेद जोड़ने और 3 अनुच्छेदों में संशोधन करने की व्यवस्था की जाएगी। संविधान संशोधन के जरिए अनुच्छेद- 82(A) जोड़ा जाएगा, ताकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें। वहीं, अनुच्छेद- 83 (संसद के सदनों का कार्यकाल), अनुच्छेद- 172 (राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल) और अनुच्छेद- 327 (विधानसभाओं के चुनाव से जुड़े कानून बनाने में संसद की शक्ति) में संशोधन किया जाएगा। 2. दूसरा बिल: यह केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े 3 कानूनों में संशोधन का है। इसमें द गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट- 1963, द गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली- 1991 और द जम्मू एंड कश्मीर रीऑर्गनाइजेशन एक्ट- 2019 शामिल हैं। इस बिल के जरिए जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए भी संशोधन किया जा सकता है। रामनाथ कोविंद ने 14 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी
एक देश-एक चुनाव पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने करीब 191 दिनों में 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। संविधान संशोधन से क्या बदलेगा, 3 पॉइंट… कोविंद कमेटी की 5 सिफारिशें… एक देश-एक चुनाव क्या है…
भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय वोट डालेंगे। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद दिसंबर, 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई। ————————————————- वन नेशन, वन इलेक्शन से जुड़ी खबर… 1. वन नेशन-वन इलेक्शन- 3 बिल ला सकती है सरकार, दो संविधान संशोधन करने होंगे देश में एक साथ चुनाव कराने की अपनी योजना को अमल में लाने के लिए 3 विधेयक लाए जाने की संभावना है, जिनमें दो संविधान संशोधन से संबंधित होंगे। प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में से एक स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभाओं के साथ कराए जाने से संबंधित है। पूरी खबर पढ़ें… 2. क्या 2029 से देश में होगा वन इलेक्शन, फायदे-खामियां सब कुछ जानें… आजाद भारत का पहला चुनाव 1951-52 में हुआ। उस वक्त लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे। 1957, 1962 और 1967 तक ये परंपरा जारी रही। 1969 में बिहार के मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की सरकार दलबदल के चलते अल्पमत में आ गई और विधानसभा भंग हो गई। 1970 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा चुनाव भी 11 महीने पहले करा लिए। पढ़ें पूरी खबर… ​​​​​​

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