छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ वन विभाग में साल 2021 में करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया है। बोरतलाव और कटेमा गांव के जंगलों में बांस रोपण, फेंसिंग और मिट्टी भराई के काम के लिए सरकार ने राशि जारी की थी। जांच में पता चला कि कागजों में दिखाए गए काम जमीन पर नहीं हुए। जिन ग्रामीणों के नाम पर मजदूरी दिखाई गई, उनमें कई स्कूली छात्र और गर्भवती महिलाएं थीं। इन लोगों ने कभी वन विभाग का काम नहीं किया। विभागीय कर्मचारियों ने ग्रामीणों के खातों में भेजे गए पैसे जबरन निकलवा लिए। ग्रामीणों को मामूली राशि देकर बाकी पैसे अधिकारियों ने खुद रख लिए। खातों से जबरन पैसे निकलवाने का आरोप तहसीलदार मुकेश ठाकुर की जांच रिपोर्ट में पूरा मामला फर्जी पाया गया। ग्रामीणों ने अपने बयान में माना कि उनके खातों से जबरन पैसे निकलवाए गए। शिकायतकर्ता विलास जाम्बूलकर रायपुर से लेकर दिल्ली तक गुहार लगा चुका है। 3 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं वन विभाग की एसडीओ पूर्णिमा राजपूत ने इस मामले पर जवाब देने से इनकार कर दिया। तीन साल बीत जाने के बाद भी न तो किसी अफसर पर कार्रवाई हुई और न ही किसी कर्मचारी को निलंबित किया गया।