विकास नगर में पेयजल संकट गहराया:10 दिन से आपूर्ति ठप, पार्षद के साथ महिलाओं ने हाईवे जाम किया

मोहाली के विकास नगर और आसपास के इलाकों में पिछले दस दिनों से गहराए पेयजल संकट के विरोध में मंगलवार को महिलाओं ने कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया। बता दे कि नगर परिषद द्वारा सीवरेज पाइपलाइन बिछाने के दौरान मुख्य पानी की पाइपलाइन टूटने से क्षेत्र में जलापूर्ति ठप है। क्षतिग्रस्त पाइपलाइन से पेयजल आपूर्ति बाधित नगर परिषद की सीवरेज परियोजना के तहत खुदाई के दौरान मुख्य पानी की पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति बाधित है। स्थानीय निवासी निजी टैंकरों से पानी मंगवाकर गुजारा कर रहे हैं, क्योंकि कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान लोगों का आरोप है कि नगर परिषद की ओर से न तो कोई राहत मिली है और न ही किसी अधिकारी ने मौके पर आकर स्थिति का जायजा लिया है। लोगों में इस बात को लेकर भारी रोष है कि अधिकारी जनता की समस्याओं को अनदेखा कर रहे हैं। स्थिति से परेशान होकर पार्षद शिवानी गोयल के नेतृत्व में बड़ी संख्या में महिलाएं खाली बाल्टियां लेकर सड़क पर उतर आईं। दो घंटे तक बाधित रहा यातायात प्रदर्शन कर रही महिलाओं‍ ने कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया, जिससे करीब दो घंटे तक यातायात बाधित रहा और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। सार्वजनिक हैंडपंपों और निजी टैंकरों पर निर्भर हैं लोग प्रदर्शनकारी महिलाओं ने स्पष्ट किया कि जब तक नगर परिषद या सीवरेज विभाग के अधिकारी मौके पर आकर समस्या का समाधान नहीं करते, वे जाम नहीं खोलेंगे। उन्होंने नगर परिषद पर पाइपलाइन की मरम्मत न कराने और जलापूर्ति बहाल न करने का आरोप लगाया। पानी के लिए लोग कई किलोमीटर दूर स्थित सार्वजनिक हैंडपंपों और निजी टैंकरों पर निर्भर हैं। समाधान नहीं होने पर दी आंदोलन की धमकी स्थानीय निवासी अनीता देवी ने कहा, “दस दिन से पानी नहीं आ रहा है। बच्चे और बुजुर्ग परेशान हैं। अधिकारी केवल फाइलों में काम दिखाते हैं, कोई समस्या देखने नहीं आता।” पार्षद शिवानी गोयल ने अपनी बात रखते हुए कहा, “खाली बाल्टियाँ लेकर सड़क पर आना हमारी मजबूरी और संघर्ष है। जब तक समाधान नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा।” जल्द समाधान की मांग की शाम को महिलाओं ने जाम खोल दिया, लेकिन चेतावनी दी कि यदि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे और सख्त आंदोलन करने को मजबूर होंगी।

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