शंभू शंकर नम: शिवाय…भरतनाट्यम और कथक स्टाइल में नृत्य नाटिका की प्रस्तुति

रांची विश्वविद्यालय के परफॉर्मिंग एंड फाइन आर्ट्स डिपार्टमेंट के नृत्य विभाग में गुरुवार को ‘नृत्य : उत्पत्ति और संगम’ कार्यक्रम हुआ। एमए तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने नृत्य की प्रस्तुति दी। नृत्य की कोरियोग्राफी सहायक प्राध्यापक विपुल नायक के मार्गदर्शन में हुई। यह नृत्य नाटिका भारतीय शास्त्रीय, समकालीन और लोक नृत्य रूपों का संगम था। इसमें कथक, भरतनाट्यम जैसे प्रमुख नृत्य शैलियों को मंचित किया गया। आकर्षक ड्रेस और सेटअप ने दर्शकों का उत्साह और बढ़ाया। छात्रों ने बताया कि एक महीने के अथक प्रयास से इस नृत्य नाटिका की तैयारी की गई है। 17 साल ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर हिल में रहे रवींद्रनाथ टैगोर के भाई ज्योतिरिंद्रनाथ 1908 में यहां रहने आए और 1925 में मृत्यु तक यहीं रहे। पहाड़ी के टॉप पर केनोपी स्टाइल का ब्रह्म मंदिर है जो बनारस से लाए लाल पत्थर से बना है। नीचे रहने के लिए शांतिधाम बनवाया। {समय- सातों दिन सुबह 9 से शाम 4:30 बजे आ ज वर्ल्ड हेरिटेज डे के मौके पर प्रसिद्ध पेंटर, स्कल्पचर आर्टिस्ट व हिस्टोरियन हरेन ठाकुर बता रहे हैं रांची की 7 अनूठी विरासतों की रोचक कहानियां। इन कहानियों में विरासत, आर्किटेक्ट, कला व संस्कृति के साथ उपयोगिता को देखते हुए एंट्री और टाइम की जानकारी दे रहे हैं। इनमें जगन्नाथ मंदिर, टैगोर हिल, रातू पैलेस, ऑड्रे हाउस, इमाम कोठी, जहाज कोठी व लक्ष्मी निवास जैसे स्थान शामिल हैं। सभी जगह एंट्री फ्री। लक्ष्मी निवास कोठी; लाल ईंट से बनी 1905 में बंगाली जमींदार लक्ष्मी निवास ने इसे अपने रहने के लिए बनवाया था। 1970 में इसे बिहार सरकार ने अपने कब्जे में लिया व 2017 में रिनोवेशन हुआ। बंगाली ब्रिटिश आर्किटेक्चर से बनी दो तल्ला कोठी लाल ईंटों से बनी है। {समय- सातों दिन सुबह 9 से शाम 5 बजे 1899 में बना 103 कमरे वाला रातू किला दुनिया की पांचवीं व भारत की सबसे लंबी डायनेस्टी का इतिहास समेटे है लाल ईंट से बना रातू किला। यह नागवंशीय शासन काल का छठा व अंतिम किला है। 103 कमरे वाले किले का निर्माण नागवंश के 61वें महाराज प्रताप उदयनाथ शाहदेव ने 1899 में करवाया था। {समय- किले के संरक्षकों की अनुमति से ही एंट्री। गोथिक कला शैली में बना ऑड्रे हाउस ऑड्रे हाउस का निर्माण लकड़ी, बांस के फ्रेम, ईंटें, मिट्टी व चूना-गारे से ब्रिटिश कैप्टन हेनिंगटन ने 1854 में गोथिक कला शैली में कराया। यहां टीक वुड के फर्श बने हैं। 30 हजार वर्गफीट के परिसर में कई दुर्लभ पेड़-पौधे लगे हैं। दुर्लभ कलाकृतियां लगी हैं। मुक्ताकाश में 200 दर्शक बैठ सकते हैं। {समय-सातों दिन सुबह 9 से रात 9 बजे तक जगन्नाथ मंदिर; पुरी की दर्ज पर बना बड़कागढ़ रियासत के नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण सन् 1691 में किया था। यह पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। मंदिर का निर्माण एक छोटी पहाड़ी पर किया गया है जिसकी ऊंचाई लगभग 90 मीटर है। यहां की रथयात्रा प्रसिद्ध है। {समय-सातों दिन सुबह 5 से रात 8 बजे तक। जहाज कोठी; गर्मी में भी रहती है ठंडी कांके रोड में डैम के पास हवाई जहाज के आकार की कोठी का निर्माण इंजीनियर अर्जुन राय ने 1940 के आसपास करवाया था। करीब 1.5 एकड़ पर बनी कोठी की छत पिटवा सुर्खी-चूने की है। दीवार 4 फीट मोटी है। गर्मी में ठंडी रहती है। {यहां रहने वाले लोगों की अनुमति से ही प्रवेश। इमाम कोठी; स्कॉटलैंड स्टाइल खासकोकर, एचबी रोड में लाल ईंटों से बनी इमाम कोठी सर सैयद अली इमाम ने प|ी अनीस करीम के लिए 1913 में बनवाया। यह स्कॉटलैंड के स्कैंडेनेवियन आर्किटेक्ट स्टाइल में है,​ जिसमें 120 कमरे हैं। कैंपस मेंं मजार भी है। {लंबे समय से इस कोठी में एंट्री बंद है। संगीत, ताल, लय व भाव को रचनात्मक ढंग से दिखाया day… रांची शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025 | 06 सात प्रमुख विरासतों की अनूठी कहानियां इस मौके पर जानिए अपने शहर के हेरिटेज को पटकथा अमित कर्मकार ने तैयार की। नृत्य नाटिका में संगीत, ताल, लय व भाव जैसे नृत्य के मूल तत्वों को रचनात्मक ढंग से पेश किया गया। नृत्य कार्यक्रम में तृतीय सेमेस्टर की 12 छात्राएं व 3 छात्र कलाकारों ने मनभावन के बोल से भगवान शिव को नमन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शंभू शंकर नम: शिवाय, दूर करो सब दुख हमारे… भगवान शिव की महिमा में भक्ति के बोल से लोग मंत्रमुग्ध होकर झूम उठे। फिर छात्राओं ने बारी बारी से मोर, चिड़िया, बकरी, कोयल, कौआ, घोड़े की आवाज में नृत्य शैली में नाटक का मंचन किया। मौके पर कोर्स कोऑर्डिनेटर नियति कल्प, नृत्यांगना चंद्र शालिनी कुजूर, स. प्रोफेसर विपुल नायक मौजूद रहे।

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