सरगुजा संभाग के इकलौते सहकारी शक्कर कारखाने के निजीकरण की साजिश का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने केरता में विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव, पूर्व मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और किसान शामिल हुए। पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण शक्कर कारखाना घाटे में है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि कारखाने को सहकारी क्षेत्र में न चलाया जाएगा। 2009 में हुई थी शक्कर कारखाने की स्थापना सरगुजा संभाग के केरता में मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाने की स्थापना 2009 में की गई थी। शक्कर कारखाने के लिए 50 प्रतिशत राशि शेयर के माध्यम से जुटाई गई थी और शेष 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा ऋण के माध्यम से उपलब्ध कराई गई थी। राज्य सरकार ने केरता एवं कवर्धा के सहकारी शक्कर कारखाने के निजीकरण का प्रस्ताव मंगाया है। इसका सरगुजा संभाग में कांग्रेस के साथ किसान भी विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस ने खोला मोर्चा, प्रदर्शन
केरता सहकारी शक्कर कारखाने के निजीकरण का विरोध करते हुए कांग्रेस ने केरता में जनसभा का आयोजन किया। सभा को पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, पूर्व मंत्री डा. प्रेमसाय सिंह, विद्या सागर सिंह सहित अन्य कांग्रेस नेताओं ने संबोधित किया और सरकार द्वारा कारखाने का नियम विरूद्ध तरीके से निजीकरण का आरोप लगाया। सरकार की नीतियों के कारण कारखाना घाटे में
पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि शक्कर कारखाना सरकार की नीतियों के कारण घाटे में हैं। केंद्र सरकार द्वारा स्टॉक को बाजार में ऊंचे दर पर बेचने की अनुमति नहीं दी गई, जबकि कारखाने के पास पर्याप्त शक्कर का स्टॉक था। सरकार द्वारा पीडीएस में बांटने के लिए शक्कर लिया गया, उसके अंतर की राशि 56 करोड़ रुपए का भुगतान सरकार ने नहीं किया। टीएस सिंहदेव ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण कारखाना घाटे में है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि सहकारिता के क्षेत्र में कारखाना न चलाया जाए। सरकार साजिश कर नियम विरुद्ध तरीके से कारखाने के निजीकरण की कोशिश कर रही है, जिसका कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी। मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
प्रदर्शन के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और निजीकरण के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। ज्ञापन में कहा गया है कि नियमानुसार दो तिहाई बहुमत के साथ प्रस्ताव पर ही सहकारी क्षेत्र के कारखाने को निजी क्षेत्र में दिया जा सकता है। नियम विरूद्ध तरीके से कारखाने के निजीकरण की कोशिश की जा रही है। इसका कांग्रेस विरोध करती है।