शराब घोटाला:ईओडब्ल्यू का दूसरा चालान-2 नंबर की शराब बेचने 5 करोड़ डुप्लीकेट होलोग्राम बनवाए, डिस्टलरी मालिकों को भी प्रति पेटी 600 रु. कमीशन

छत्तीसगढ़ में 2161 करोड़ के शराब घोटाले की पड़ताल में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। ईओडब्ल्यू के पेश पूरक चालान के अनुसार पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के अलावा एक दिग्गज कांग्रेसी नेता को महीने में दो बार 10-10 करोड़ रुपए दिए जाते थे। यह रकम सिंडीकेट से जुड़े लोगों के माध्यम से नेता के बताए राजनीतिक व्यक्ति के यहां छोड़ी जाती थी। जांच एजेंसियों का दावा है कि घोटाले में मिली रकम से 1500 करोड़ रुपए पार्टी फंड के नाम पर दिया गया है, हालांकि डायरी में इसका उल्लेख नहीं है कि किस पार्टी को यह फंड दिया गया है। ईडी और ईओडब्ल्यू इसकी जांच कर रही हैं। एजेंसी को मामले में फरार कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल की तलाश है। जांच एजेंसी से जुड़े लोगों ने बताया कि भिलाई के कारोबारी विजय भाटिया और लक्ष्मीनारायण बंसल दोनों ही कारोबारी पिछली सरकार में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर शराब के कारोबार से जुड़े हुए थे।विजय भाटिया का एक शराब कंपनी में 52 प्रतिशत शेयर है। विजय को घोटाले से 14 करोड़ रुपए मिले। घोटाले में ज्यादा पैसा लेने पत्नियों के नाम से खोली गई कंपनियां निलंबित बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह नौकरी के दौरान ही शराब के कारोबार में आ गया था। वह आईटीएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी का करीबी था। अरविंद ने अपनी पत्नी पिंकी सिंह के नाम पर अदीप एम्पायर और माउंटेन व्यू इंटरप्राइजेज कंपनी रजिस्टर कराई। फिर इस कंपनी के नाम से शराब का कारोबार करने लगे। पूरा काम अरविंद का भतीजा अमित सिंह देखता था। इसी तरह आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजूलता त्रिपाठी के नाम पर रतनप्रिया मीडिया प्राइवेट कंपनी रजिस्टर कराई। इस कंपनी ने डुप्लीकेट होलोग्राम बनाने वाली कंपनी को 50 लाख में सॉफ्टवेयर बेचा था। इसी तरह टुटेजा परिवार और ढेबर परिवार का नाम भी इसमें सामने आया है। उनके नाम से कारोबार-निवेश की भी जांच एजेंसी को मिली है। अवैध शराब बेचने के लिए 15 जिलों को चुना गया दो नंबर की शराब बेचने के लिए राज्य को 8 जोन में बांटकर 15 जिलों को चुना गया था। यहां की दुकानों में फैक्ट्री से ही डुप्लीकेट होलोग्राम लगकर शराब आती थी। सिंडीकेट में शामिल अरविंद सिंह का भतीजा अमित सिंह, अनुराग ट्रेडर्स से जुड़े अनुराग द्विवेदी, सत्येंद्र प्रकाश गर्ग, नवनीत गुप्ता ने ओवर बिलिंग और बिना बिल के शराब की बोतल की सप्लाई की। अमित अपने साथी दीपक दुआरी और प्रकाश शर्मा के साथ मिलकर डुप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई करता था। कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया की सुमित फैसिलिटीज कंपनी के कर्मचारी ही डुप्लीकेट होलोग्राम लगाते थे। इसके एवज में 8 पैसा प्रति होलोग्राम कमीशन लिया जाता था। हवाला के माध्यम से पैसा गया बाहर घोटाले का पैसा हवाला के जरिए दिल्ली, मुंबई और कोलकाता भेजा गया। इसमें कारोबारी सुमित मालू और रवि बजाज शामिल थे। दोनों ने पूछताछ में यह कबूल किया है। रकम बस, टैक्सी और मालवाहक से भेजा गया। वसूली के लिए बनी थी अलग टीम
विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, सिद्धार्थ सिंघानिया, अमित सिंह समेत कई लोग थे, जो शराब घोटाले का पैसा कलेक्ट करते थे। एक साल बाद सिस्टम बदल दिया गया और प्लेसमेंट कंपनी के जरिए पैसों का कलेक्शन होने लगा। कमीशन के लिए बढ़ा दी गई सप्लाई
जांच एजेंसी ने चार्जशीट में बताया है कि फरवरी 2019 से आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार शुरू हुआ। शुरुआत में हर महीने 800 पेटी शराब से भरी 200 ट्रक डिस्टलरी से हर माह निकलती थी। एक पेटी को 2840 रुपए में बेचा जाता था। उसके बाद हर माह 400 ट्रक शराब की सप्लाई शुरू हो गई। प्रति पेटी शराब 3880 रुपए में बेचा जाने लगा। ईओडब्ल्यू की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि तीन साल में 60 लाख से ज्यादा शराब की पेटियां अवैध रूप से बेची गई।

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