शराब घोटाला… कमिश्नर निरंजन को मिलते थे मंथली 50 लाख:एपी त्रिपाठी पहुंचाते थे आबकारी कमिश्नर को पैसे,सिंडिकेट के अफसरों ने की 2174.60 करोड़ वसूली

छत्तीसगढ़ में 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की जांच कर रहे EOW के अफसर 5 जुलाई को कोर्ट में आबकारी अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश करेंगे। शराब घोटाले में 23 से ज्यादा आबकारी अफसर आरोपी हैं। आबकारी की जांच में खुलासा हुआ है, कि अफसरों ने सिंडिकेट बनाकर शराब घोटाले में पूरा साथ दिया। शराब घोटाला करने के एवज में अफसर हर साल 70 करोड़ की वसूली करते थे। EOW की जांच में सामने आया है, कि तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास को हर महीने 50 लाख रुपए दिया जाता था। यह पैसा एपी त्रिपाठी के माध्यम से उनके पास पहुंचा था। सिंडिकेट में शामिल हर अफसर का कमीशन तय था। चार साल में अफसरों ने अवैध उगाही करके करोड़ों की संपत्ति बनाई है। अवैध पैसों को इनवेस्ट किया संपत्ति और कर्ज देने में EOW के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हर साल डुप्लीकेट शराब बेचकर अवैध उगाही करने वाले अफसरों ने अपने अवैध पैसों को जमीन, चहेतों को कारोबार और कर्जदारों को दिया है। शराब घोटाला के लिए प्रदेश के 15 जिलों को चुना गया था। यहां पर पदस्थ आबकारी अधिकारी को 150 रुपए प्रति पेटी कमीशन के रूप में मिलता था। 2019 से 2023 तक शराब सप्लायरों से जिला आबकारी अधिकारियों ने 319 करोड़ रुपए की वसूली की है। यह पैसा सिंडिकेट को पहुंचाया गया। अप्रैल 2019 से जून 2022 तक अवैध शराब बेचकर 280 करोड़ रुपए वसूले गए। हर साल 70 करोड़ से ज्यादा की वसूली का टारगेट था। जिला आबकारी अधिकारियों ने इस दौरान 2174.60 करोड़ की 60 लाख पेटी अवैध शराब बेची। सरकारी कागजों में रिकॉर्ड ना चढ़ाने की हिदायत शराब खपाने का रिकॉर्ड सरकारी कागजों में ना चढ़ाने की नसीहत दुकान संचालकों को दी गई। डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब बिना शुल्क अदा किए दुकानों तक पहुंचाई गई। जांच एजेंसी ने चार्जशीट में बताया है कि फरवरी 2019 से आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार शुरू हुआ। शुरुआत में हर महीने 800 पेटी शराब से भरी 200 ट्रक डिस्टलरी से हर माह निकलती थी। एक पेटी को 2840 रुपए में बेचा जाता था। उसके बाद हर माह 400 ट्रक शराब की सप्लाई शुरू हो गई। प्रति पेटी शराब 3880 रुपए में बेचा जाने लगा। ईओडब्ल्यू की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि तीन साल में 60 लाख से ज्यादा शराब की पेटियां अवैध रूप से बेची गई। अधिकारियों की निगरानी में दुकानों में पहुंचती थी शराब जांच एजेंसी का दावा है कि यह शराब घोटाला 2019 से 2023 तक हुआ है। इस दौरान डिस्टलरी से जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारियों की निगरानी में डुप्लीकेट होलोग्राम लगा अवैध शराब डिस्टलरी से निकलकर सीधे दुकान जाता था। तत्कालीन सहायक आयुक्त जनार्दन कौरव की निगरानी में डुप्लीकेट होलोग्राम प्रिंट होकर अमित सिंह, दीपक दुआरी और प्रकाश शर्मा के माध्यम से तीनों डिस्टलरी में जाती थी। वहां होलोग्राम लगाकर अवैध शराब सीधे दुकान पहुंचता था। डुप्लीकेट होलोग्राम लगी शराब की बिक्री से अरुणपति त्रिपाठी को 20 करोड़ रुपए का कमीशन मिला है। इन अफसरों पर पैसा लेने का आरोप

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