छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। इस याचिका में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की गिरफ्तारी को अवैधानिक बताते हुए FIR रद्द करने समेत कई मांगें थी। ED के अनुसार सिंडिकेट बनाने वाले कारोबारी अनवर ढेबर को 90 करोड़ से ज्यादा मिले थे। सुनवाई के दौरान शासन ने बताया कि सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी। जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है। यह गंभीर अपराध है। पहले भी दो बार याचिका खारिज हो चुकी है। दरअसल, शराब घोटाले मामले में ED की जांच रिपोर्ट के आधार पर ACB में FIR दर्ज कराई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। अनवर रायपुर के तत्कालीन मेयर के भाई हैं, जिसे ACB ने गिरफ्तार किया था। अनवर ने FIR को दी थी चुनौती आरोपी अनवर ढेबर ने अपनी याचिका में ACB की FIR और गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। अनवर ने बताया कि उसे अवैध तरीके से रिमांड पर लिया गया। इसलिए राहत दी जाए। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का हवाला देते हुए कहा कि, उसे 4 अप्रैल को बिना सूचना हिरासत में लिया गया। परिवार को भी सूचना नहीं दी गई। अगले दिन दोपहर 2 बजे औपचारिक गिरफ्तारी की गई। अनवर ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी का पंचनामा, कारणों की सूचना और केस डायरी की कॉपी नहीं दी गई। यह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ है। याचिका में 5 और 8 अप्रैल को विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) के दिए गए पुलिस रिमांड आदेशों को भी रद्द करने की मांग की। हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका इसकी सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से बताया गया कि, सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डूप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी। जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है। इसमें अनवर ढेबर की अहम भूमिका सामने आई है। आरोपी की दो जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज की जा चुकी हैं। तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। फरवरी 2019 में बना था सिंडिकेट कारोबारी अनवर ढेबर ने सिंडिकेट बनाने के लिए फरवरी 2019 में जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में प्रदेश के 3 डिस्टलरी मालिकों को बुलाया। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया शामिल हुए। साथ ही वेलकम डिस्टलरी से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल के साथ हीरालाल जायसवाल और नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया पहुंचे। मीटिंग में इनके अलावा एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। मीटिंग में अनवर ढेबर ने तय किया कि डिस्टलरी से जो शराब सप्लाई की जाती है, उसमें प्रति पेटी कमीशन देना होगा। कमीशन के बदले रेट बढ़ाने का आश्वासन डिस्टलरी संचालकों को दिया गया। पैसे का हिसाब-किताब करने के लिए आरोपियों ने पूरे कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटा। पूर्व मंत्री लखमा समेत भूपेश बघेल के बेटे की भी गिरफ्तारी EOW ने बताया कि विदेशी शराब पर सिंडिकेट द्वारा लिए गए कमीशन का विश्लेषण किया जा रहा है। इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, अरुणपति त्रिपाठी, अरविंद सिंह, अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, दीपक दुआरी, दिलीप टुटेजा, सुनील दत्त के बाद हाल ही में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को गिरफ्तार किया गया है। …………………….. शराब घोटाले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… शराब घोटाला केस…चैतन्य बघेल को 14 दिन की जेल: भूपेश बोले- सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी केंद्र सरकार और ED के गालों पर तमाचा छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को ED ने मंगलवार को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की ज्यूडिशियल रिमांड पर भेज दिया है। इससे पहले ED ने चैतन्य से 5 दिन तक पूछताछ की थी। पढ़ें पूरी खबर