शहडोल के विकास पुरुष दलबीर सिंह की 25 पुण्य तिथि मनाई

शहडोल के विकास पुरुष दलबीर सिंह की 25 पुण्य तिथि मनाई

अनूपपुर। आजादी के बाद शहडोल जिले के विकास में पंडित शम्भूनाथ शुक्ला के बाद सबसे बड़ा योगदान दलबीर सिंह का है। मैं छात्र जीवन से उनके संपर्क में आया और हमेशा के लिए उनका सहयोगी बना. दलबीर सिंह अविभाजित शहडोल जिले के दूरस्थ स्थान में रहते थे जहाँ विकास की रोशनी स्वतंत्रता के बाद भी नहीं पहुँच पायी थी लेकिन उन्होंने ना केवल अपने गाँव और विधान सभा के विकास का ध्यान रखा बल्कि पूरे संसदीय क्षेत्र के लिए तत्पर रहे। दलबीर सिंह का जन्म 6 मई 1944 को मध्य प्रदेश के वर्तमान अनुपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील के कोयलारी गाँव में हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा जबलपुर से प्राप्त की, जहाँ उन्होंने एम.ए. और एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की। वकील के रूप में काम शुरू करने वाले दलबीर सिंह ने 1972 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता और मध्यप्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. इस युवा और संभात नेता ने निर्दलीय विधायक बन कर कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली कांग्रेस में बेहद सक्रिय और प्रभावशाली तरीके से काम करते हुए। 1980 में शहडोल लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके बाद 1985 एक बार फिर शहडोल से सांसद निर्वाचित होने के बाद और उन्हें राजीव गांधी मंत्रिमंडल में शहरी विकास मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री नियुक्त किया गया। शहडोल में आकाशवाणी दूरदर्शन केंद्र जैसे संस्थान दलबीर सिंह की याद दिलाते हैं। 1991 में सांसद निर्वाचित होने के बाद उन्हें पीवी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में विश्व राज्य मंत्री नियुक्त किया गया. एलआईसी और बैंक के अनेक कार्यालय शहडोल में स्थापित किए गए. रेल सुविधाओं में वृद्धि के लिए उन्होंने विशेष प्रयास किए. पर्यटन को बढ़ाने और शहडोल का नाम राष्ट्रीय स्तर पर उठाने में उनका विशेष योगदान रहा है। दलबीर सिंह जो अविभाजित मध्यप्रदेश प्रदेश की प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यवाहक अध्यक्ष भी बनाया गया. दलबीर सिंह हमेशा उपलब्ध रहने वाले नेता थे. राजेन्द्रग्राम में उनके बंगले पर हमेशा भीड़ रहती थी. उनके मन में जो अपनत्व भाव था वो बिरले नेताओं में दिखाई देता है हर समस्या में वो जनता के साथ खड़े दिखते थे. विकास कार्यों के लिए सजग और मुखर रहने के कारण तत्कालीन समय में रीवा में संभाग में शहडोल का विशिष्ट स्थान था । 2 जून 2000 को बीना रेलवे स्टेशन पर हृदयाघात के कारण उनका 56 वर्ष की आयु में असामयिक निधन हो गया। आज 25 साल बाद भी दलबीर सिंह को हर शहडोल वासी के स्मृति पटल पर हैं। आज भी जनप्रतिनिधियों में लोग दलबीर सिंह की छवि देखना। 

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *