शादी और गर्मी की सीजन शुरु हो गया है। लंबी दूरी की ट्रेनों में कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है। यात्री परेशान हैं। राजधानी से देश के बड़े और प्रमुख स्टेशनों के लिए लंबी वेटिंग मिल रही है, जबकि दूर दराज के छोटे स्टेशनों से टिकट बुक करवाने पर उन्हीं बड़े शहरों के लिए कंफर्म टिकट मिल रही है। टिकट दलाल इस सिस्टम का भी फायदा उठा रहे हैं। रायपुर से मुंबई के लिए टिकट बुक करवाने दलाल हावड़ा के पास के किसी छोटे स्टेशन से टिकट बनाकर दे रहे हैं। उसकी बोर्डिंग रायपुर दिखाई जा रही है। यात्रियों से हावड़ा से रायपुर तक का एक्स्ट्रा चार्ज लिया जा रहा है। इस टिकट के एवज में भी एक-एक हजार रुपए कमीशन अलग वसूले जा रहे हैं। हैरानी की बात है कि रेलवे भी हावड़ा के पास से बुक होने वाले टिकट के लिए बोर्डिंग रायपुर दिखाने पर भी उसे मान्य कर रहा है। यात्री को एक ओर लंबी दूरी का ज्यादा पैसा अनावश्यक देना पड़ रहा है। वहीं दलाल अपना कमीशन अलग ले रहे हैं। ये केवल एक रुट या स्टेशन की स्थिति नहीं है। राजधानी से गुजरने वाली हर रुट की ज्यादातर लंबी ट्रेनों में ऐसे ही टिकट बुक हो रहे हैं। ये रेलवे के अफसरों की मिलीभगत से संभव हो रहा है। पड़ताल में पता चला है कि लंबी दूरी से जो बर्थ रायपुर जैसे बड़े शहरों तक खाली आती हैं, उन्हें रास्ते में किसी दूसरे यात्री को अलॉट कर टीटीई उनसे वसूली कर रहे हैं। ये सिस्टम गर्मी और छुटि्टयों के सीजन में बढ़ गया है। ऐसे दिलवा रहे दलाल कंफर्म सीट मुंबई जाना है भैया… तो हावड़ा से लेना होगा टिकट अपना ट्रैवल्स। भास्कर रिपोर्टर ने इस ट्रैवल्स के संचालक से मुंबई जाने के लिए संपर्क किया। दुकान में बैठे युवक ने कहा हां, मिल जाएगी कंफर्म टिकट। लेकिन एसी थ्री टायर के एक टिकट पर 800 रुपए और एसी टू टायर पर एक हजार अधिक लगेगा। टिकट कहां से मिलेगा यह नहीं बताऊंगा। टिकट लेना है तो कहां से और कैसे मिलेगा ये छोड़ो। मुझे बस पैसा और किसके नाम पर और कितना टिकट बनेगा उसका डिटेल दो। इसलिए छोटे स्टेशनों की खाली रहती हैं सीटें रेलवे की ओर से हर बड़े छोटे स्टेशनों पर सीटों का कुछ कोटा रहता है। उस कोटे के अनुसार सीटें जब बुक हो जाती हैं तो वेटिंग नंबर दिखाने लगता है, लेकिन छोटे स्टेशनों से कम यात्री सवार होते हैं, इसलिए वहां के लिए आरक्षित सीटें खाली रहती हैं। दलालों को उन सीटों की जानकारी रहती है, इसलिए वे िकसी भी स्टेशन से ऑनलाइन खाली सीटों का ब्योरा निकालकर उन सीटों को बेच देते हैं। टिकट दलाल जैसे कर रहे काम शहर के अलग-अलग इलाकों में जब से अधिकृत टिकट दलालों ने अपने काउंटर खोले हैं, उनकी आड़ में अवैध दलाल सक्रिय हो गए हैं। वे यात्रियों को तत्काल के साथ ही छोटे-छोटे स्टेशनों से कंफर्म टिकट निकालकर दे रहे हैं। ज्यादातर यात्रियों को इसकी जानकारी नहीं होती है। अभी स्थिति ज्यादा बिगड़ गई गर्मी की छुटि्टयों और शादी के इस पीक सीजन में रेलवे ने 50 ट्रेनों को रद कर दिया है। लंबी दूरी की इतनी ट्रेनें रद्द किए जाने से बाकी बची ट्रेनें पूरी तरह पैक हो गईं और अब जिन यात्रियों की ट्रेन कैंसिल हुई हैं उन्हें कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है। ऐसे यात्री मजबूरी में दलालों के चंगुल में फंस रहे हैं। केस स्टडी से जानिए यात्रियों की जेब किस तरह कट रही केस-1 बिलासपुर- पुणे आजाद हिंद एक्सप्रेस 26 जून को बिलासपुर से एसी टू में टिकट खाली है। बिलासपुर से टिकट किराया 2225 रुपए में है। दुर्ग से 26 जून को इसी ट्रेन में वेटिंग दिखा रहा है। दुर्ग से टिकट किराया 2070 रुपए है। दुर्ग के यात्री को पुणे जाना है तो दलाल उन्हें बिलासपुर से टिकट दिलवाते हैं। दलालों के एक हजार के अलावा यात्री को करीब 200 ज्यादा किराया देना पड़ता है। यानी 12 सौ एक्स्ट्रा खर्च होते हैं। केस-2 दुर्ग- छपरा सारनाथ एक्सप्रेस में 16 मई को दुर्ग से छपरा तक सेकंड एसी में सीट खाली है। दुर्ग से यह टिकट 1970 रुपए में है। वहीं 16 मई को ही दुर्ग से प्रयागराज का टिकट चेक करने पर 10 वेटिंग दिखा रहा है। दुर्ग से प्रयागराज का टिकट 1545 रुपए है। मजबूरी में प्रयागराज जाने वाले यात्रियों को छपरा तक का टिकट लेना पड़ रहा है। जबकि प्रयागराज में सीट खाली हो जाएगी और छपरा तक खाली जाएगी। केस-3 गोंडवाना एक्सप्रेस में दुर्ग से भोपाल तक एसी टू में 4 जून को सीट खाली है। दुर्ग से भोपाल तक का किराया 1475 रुपए है। नागपुर से भोपाल का किराया 995 रुपए है लेकिन नागपुर से इसी ट्रेन में वेटिंग टिकट मिल रहा है। यानी नागपुर से भोपाल जाने वाले यात्रियों को अधिक पैसा खर्च करके दुर्ग से टिकट लेना पड़ेगा और बोर्डिंग नागपुर दिखाना पड़ेगा।