शादी के स्टेज पर डॉक्टर दुल्हन को गोली मारी:दूसरा फायर दूल्हे पर किया; कातिल ने की खुदकुशी की कोशिश, आखिर क्या था मकसद?

मध्य प्रदेश क्राइम फाइल्स की इस कड़ी में हम आपको उस केस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने न सिर्फ भोपाल बल्कि पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था। यह कहानी एक ऐसी रात की है, जिसे शहर शादी के जश्न, रोशनी और खुशियों के शोर में याद रखना चाहता था लेकिन यह इतिहास में एक खून से सनी तारीख बनकर दर्ज हो गई। भीड़, संगीत और आतिशबाजी के बीच अचानक गूंजी गोलियों की आवाज ने जश्न को हमेशा के लिए मातम में बदल दिया। एक डॉक्टर दुल्हन, जो अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रही थी, उसी के मंडप पर खून से लथपथ होकर ढेर हो गई। हजारों मेहमानों की आंखों के सामने, एक सिरफिरे आशिक ने हाथ में रिवॉल्वर थामकर डॉक्टर दुल्हन को दूल्हे के सामने गोली मार दी। कौन था वो कातिल? उसने ऐसा क्यों किया? क्या यह कोई पेशेवर सुपारी किलर था या फिर दीवानगी और जुनून का शिकार एक साधारण इंसान…पढ़िए, इस दिल दहला देने वाली वारदात की पूरी रिपोर्ट। एक नए जीवन का सपना देख रहे थे दो डॉक्टर
भोपाल शहर का लालघाटी इलाका उस दिन रोशनी और चहल-पहल से सराबोर था। सड़कों पर बारातों का काफिला, ढोल की थाप और आतिशबाजी का शोर… हर तरफ खुशियों का माहौल था। इसी भीड़भाड़ और शोर के बीच, सुंदरवन कोहिनूर मैरिज गार्डन की रौनक देखने लायक थी। यहां दो डॉक्टरों की शादी हो रही थी, एक ऐसा बंधन जो दो पढ़े-लिखे और सम्मानित परिवारों को एक कर रहा था। दुल्हन थी डॉ. जयश्री नामदेव और दूल्हे का नाम था डॉ. रोहित नामदेव। दोनों ही भोपाल के प्रतिष्ठित हमीदिया अस्पताल से जुड़े थे। डॉ. जयश्री बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician) थीं, तो वहीं डॉ. रोहित सर्जरी विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे। दोनों युवा थे, अपने करियर में तेजी से आगे बढ़ रहे थे और एक साथ एक नए जीवन का सपना देख रहे थे। ये एक अरेंज मैरिज थी। दोनों ही परिवारों की सहमति से तय हुई थी। जयश्री अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। माता-पिता ने अपनी बेटी के भविष्य को लेकर कई सपने संजोए थे। स्टेज पर चढ़ा और मार दी गोली
शाम 8 बजे से ही मैरिज गार्डन मेहमानों से खचाखच भर चुका था। घनश्याम नामदेव अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में व्यस्त थे, उनके चेहरे पर एक पिता की खुशी और संतोष साफ झलक रहा था। मां, रिश्तेदार, दोस्त सबके चेहरे पर मुस्कान थी। यह एक ऐसा दिन था, जिसका सपना जयश्री और उसके परिवार ने बरसों से देखा था। रात के करीब 11 बज रहे थे। वरमाला का कार्यक्रम संपन्न हो चुका था और स्टेज पर दूल्हा-दुल्हन का फोटो सेशन चल रहा था। मेहमान बारी-बारी से स्टेज पर आकर नवदंपति को शुभकामनाएं दे रहे थे, उनके साथ तस्वीरें खिंचवा रहे थे। माहौल हंसी-ठहाकों और संगीत से गूंज रहा था। लेकिन उस भीड़ के बीच एक चेहरा ऐसा भी था, जो हंसते-मुस्कुराते मेहमानों से बिल्कुल अलग था। उसकी आंखों में न तो खुशी थी, न ही कोई चमक। बस एक अजीब सा जुनून और गुस्सा तैर रहा था। वह युवक धीरे-धीरे स्टेज की तरफ बढ़ रहा था, उसकी चाल में एक अजीब सी बेचैनी थी, जिसे कोई भांप नहीं सका। उसने कदम बढ़ाए और स्टेज पर चढ़ गया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, उसने अपनी कमर से एक देसी रिवॉल्वर निकाली और सीधी दुल्हन डॉ. जयश्री पर तान दी। एक पल की खामोशी और फिर… धांय! दुल्हन की गर्दन में लगी गोली
गोली की आवाज संगीत के शोर को चीरती हुई निकली। गोली सीधे जयश्री की गर्दन में जा लगी। वह कुछ समझ पाती, इससे पहले ही अपने शादी के जोड़े में खून से लथपथ होकर स्टेज पर ही गिर पड़ी। हंसी और तालियों की जगह अचानक चीख-पुकार गूंजने लगी। जो लोग कुछ पल पहले नाच-गा रहे थे, वे सन्न रह गए। युवक ने दूसरी गोली दूल्हे डॉ. रोहित पर चलाई, लेकिन रोहित ने फुर्ती दिखाते हुए उसका हाथ पकड़ लिया। हाथापाई में गोली का निशाना चूक गया और वह पास ही खड़े एक मेहमान कचरू सिसौदिया के पैर में जा लगी। करीब दो मिनट तक पूरा गार्डन सकते में था। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि शादी के पवित्र मंच पर सैकड़ों मेहमानों के सामने कोई दुल्हन को गोली मार सकता है। फिर अचानक भीड़ का सन्नाटा टूटा। लोग उस युवक पर टूट पड़े। किसी ने उसका कॉलर पकड़ा, तो किसी ने घूंसे बरसाने शुरू कर दिए। गुस्से से भरी भीड़ ने उसे पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। इधर, डॉ. रोहित अपनी लहूलुहान दुल्हन को थामे हुए थे। उनकी आंखों में आंसू और बेबसी थी। हमलावर को पुलिस ने पहुंचाया अस्पताल
सुंदरवन गार्डन, जो कुछ देर पहले रोशनी और खुशियों से जगमगा रहा था, अब खून, आंसू और सन्नाटे से भर चुका था। तोहफे, गुलदस्ते, सजावट…सब जयश्री के खून से लाल हो चुके थे। घायल कचरू को हमीदिया अस्पताल ले जाया गया। इस बीच पुलिस मौके पर पहुंची। भीड़ ने जिस हमलावर को पीटा था, वह अब बेहोश पड़ा था। पुलिस ने जब उसे उठाया तो पता चला कि वह अभी जिंदा है। उसे फौरन अस्पताल भेजा गया, लेकिन हमीदिया अस्पताल नहीं। पुलिस को डर था कि वहां का स्टाफ, जो डॉ. जयश्री का सहकर्मी था, गुस्से में उसे मार डालेगा। उस वक्त तक किसी को नहीं पता था कि यह युवक कौन है। क्या कोई पेशेवर शूटर था? या जयश्री और रोहित से उसकी कोई पुरानी दुश्मनी थी? यह खबर आग की तरह पूरे शहर में फैल गई। भोपाल ही नहीं, पूरे मध्यप्रदेश में बस एक ही चर्चा थी- ‘कौन है यह हत्यारा, जिसने एक शादी को मातम में बदल दिया?’ 17 हजार रुपए में खरीदी थी देसी रिवॉल्वर
कोहेफिजा थाना पुलिस ने अज्ञात युवक के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। घायल मेहमान कचरू ने पुलिस को बताया, ‘मैं अपने दोस्त रोहित की शादी में स्टेज पर ही खड़ा था। अचानक गोली की आवाज आई और मैंने देखा कि दुल्हन नीचे गिर गई। भीड़ बहुत थी, इसलिए मैं गोली चलाने वाले को देख नहीं पाया। लोग किसी को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे, तभी एक गोली मेरी बायीं जांघ पर लगी और मैं भी गिर गया।’ पुलिस की जांच धीरे-धीरे आगे बढ़ी। पता चला कि वारदात वाले दिन युवक ने अपने एक दोस्त से बाइक उधार ली थी। वह उसी बाइक से सागर से भोपाल आया था। बाइक मैरिज गार्डन के परिसर में ही खड़ी मिली। उसने एक दलाल कुलदीप से 17 हजार रुपए में एक देसी रिवॉल्वर खरीदी थी। होश में आते ही पूछा- जयश्री ठीक है न
जब पुलिस ने हमलावर युवक, जिसका नाम अनुराग था, से होश में आने के बाद पूछताछ शुरू की, तो उसके चेहरे पर एक अजीब सा खालीपन था। आंखें लाल थीं और होंठ कांप रहे थे। कुछ देर की चुप्पी के बाद उसने जो कहा, वह सुनकर पुलिसवाले भी सन्न रह गए। उसने कहा, ‘जैसे ही मैंने देखा कि जयश्री ने रोहित के गले में वरमाला डाली, उसी पल मुझे लगा कि सब खत्म हो गया। वो मेरी थी और अब किसी और की होने जा रही थी। मैं अपना आपा खो बैठा। मेरी आंखों के आगे सब धुंधला हो गया। मुझे बस इतना याद है कि मैंने रिवॉल्वर निकाली और ट्रिगर दबा दिया।’ उसकी सांसें तेज हो गईं। फिर उसने धीमी आवाज में जोड़ा, ‘मैं तो खुद को भी गोली मारने वाला था… लेकिन मौका ही नहीं मिला। लोग मुझ पर टूट पड़े। अगर दो सेकेंड और मिल जाते, तो आज मैं भी जिंदा न होता।’ उसके इस बयान ने पुलिस और परिवार, दोनों को हैरान कर दिया। इतना खौफनाक अपराध करने वाला युवक, जो एक दुल्हन को सबके सामने गोलियों से भून देता है, अब खुद को एक पीड़ित की तरह पेश कर रहा था। और फिर अचानक अनुराग ने सिर उठाकर पूछा, ‘जयश्री तो ठीक है न?’ पिता बोले- गोली मारने वाले को जानता हूं
पुलिस अफसरों ने बयान दर्ज करते हुए देखा कि वह कभी हंसने लगता, तो कभी रो पड़ता। लेकिन एक सच शीशे की तरह साफ हो चुका था। उसकी दीवानगी, उसकी जिद और उसके एकतरफा जुनून ने एक मासूम जिंदगी को निगल लिया था। जांच के अंतिम चरण में पुलिस ने जयश्री के पिता घनश्याम नामदेव से पूछा, ‘क्या आप उस युवक को पहचानते हैं, जिसने आपकी बेटी पर गोली चलाई?’ घनश्याम ने एक गहरी सांस ली, सिर झुकाया और धीमी, कांपती हुई आवाज में कहा- ‘हां, मैं उसे जानता हूं।’ इन सवालों के जवाब जानिए क्राइम फाइल्स पार्ट 2 में क्राइम फाइल्स सीरीज की ये खबरें भी पढ़ें… आधी रात को हत्या करने निकलता…चौकीदार देखते ही मार डालता 3 साल पहले सागर 4 दिन के भीतर लगातार तीन हत्याओं से दहल उठा था। तीन रातें, तीन चौकीदार और मौत का एक ही तरीका। कोई निशान नहीं, कोई मकसद नहीं। बस सिर पर वार और मौत। लोग सिहर उठे थे। हर कोई आशंका जता रहा था कि कहीं शहर में कोई सीरियल किलर तो सक्रिय नहीं है? पढ़ें पूरी खबर… फिल्मों को देख लिखी चौकीदारों की हत्या की स्क्रिप्ट सागर के लोग दहशत में आ गए थे। पुलिस नाकाबंदी कर चुकी थी, रात-रात भर सर्चिंग चल रही थी। स्केच जारी किया गया मगर कातिल तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही थी। इसी बीच एक दिन पुलिस को वो सुराग मिला, जिसने सीरियल किलर तक पुलिस को पहुंचा दिया। पढ़ें पूरी खबर…

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