शाह की नक्सलवाद-खात्मे की डेडलाइन पर बैज का तंज:दीपक बोले-ये सिर्फ तारीख-पर-तारीख दे रहे हैं, हमारी सरकार में 40KM दायरे में सिमटे थे नक्सली

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जगदलपुर दौरे (4 अक्टूबर) के दौरान फिर दोहराया कि 31 मार्च 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा। शाह की इस डेडलाइन के बाद अब छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने भी उनपर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी साल 2016, 2018, 2020, 2022 और 2024 की डेडलाइन जारी की थी। अब 2026 की डेट लाइन जारी की। वे नक्सलवाद खत्म करने की सिर्फ तारीख पे तारीख बढ़ाते जा रहे हैं। अब कहीं ऐसा न हो कि ये तारीख 2028 पहुंच जाए। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज से 2 सवाल सवाल 1 – साल 2023 से पहले प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब और अब भी वही CRPF है। बस्तर पुलिस भी वही है। DRG भी वही है और जवानों के पास हथियार भी वही है। लेकिन तब फोर्स को नुकसान बहुत हो रहा था। अब जवान नक्सलियों को घेर कर मार रहे हैं। क्या कांग्रेस और भाजपा में नक्सलवाद खत्म करने की मंशा में फर्क है? आखिर अब यह बदलाव कैसे आया? जवाब – भारतीय जनता पार्टी की सरकार में 100 से ज्यादा फर्जी मुठभेड़ हुए हैं। फर्जी मुठभेड़ों में सैकड़ों आदिवासी मारे गए हैं। हजारों आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल भेज दिया गया। हजारों आदिवासियों का फर्जी सरेंडर करवाकर सरकार वाहवाही लुटती रही। पहले जब भाजपा की सरकार थी तो उस समय कई आदिवासियों को फर्जी तरीके से जेल में बंद किया गया था। लेकिन जब प्रदेश में हमारी सरकार आई तो बेकसूरों को छुड़ाने का काम हमारी सरकार ने किया था। जब हमारी सरकार थी तो रायपुर में एक बड़ी मीटिंग हुई थी। उस मीटिंग में मैं खुद शामिल था। जिसमें यह बात पता चली थी कि नक्सलियों का दायरा सिर्फ 40 किलोमीटर के अंतर्गत ही सिमट चुका है। आज जगह-जगह जो कैंप खुले हैं वह हमारी सरकार के समय ही स्थापित हुए हैं। हमारी सरकार में एक भी ट्रक या बस नहीं जली। हमारी सरकार में 5 सालों में नक्सलियों ने सड़क पर एक भी गड्ढा नहीं किया। हमारी सरकार में फर्जी एनकाउंटर नहीं हुए। हमने फर्जी नक्सली केस में किसी आदिवासी को जेल नहीं भेजा। कांग्रेस की सरकार में ही बस्तर बटालियन बना। नक्सली बैकफुट हुए। जब हमारी सरकार थी तो एकाध कोई नक्सली घटना हुई है, इस बात से मैं इनकार नहीं करूंगा। लेकिन नक्सली घटनाओं में काफी हद तक कमी आई थी। अभी पुलिस फोर्स ने नक्सलियों के कई बड़े टॉप लीडर को मारा है। लेकिन फर्जी एनकाउंटर भी हुए हैं। बीजापुर में एक रसोईया को मार दिया गया। सरकार का कोई जवाब नहीं आया।न्यायिक जांच भी नहीं हुई। हम भी चाहते हैं कि बस्तर में शांति आए। लेकिन निर्दोष आदिवासियों को मारकर सरकार वाहवाही न लुटे। सवाल 2- नक्सल लीडर बार-बार पर्चा जारी कर सरकार से बातचीत करने की बात कह रहे हैं, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने बातचीत से इनकार कर दिया है। कांग्रेस क्या सोचती है, बात करना चाहिए या नहीं? जवाब – नक्सलियों के उस पत्र की कितनी सत्यता है वो तो सरकार आज भी नहीं बता पाई। जब पिछली बार पत्र आया था तो छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री का बयान था कि पत्र का परीक्षण कर रहे हैं। सरकार आज भी इसपर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह पाई है। सरकार को तय करना है कि बातचीत करनी चाहिए या नहीं। कांग्रेस के सोचने से क्या होगा।

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