राज्यसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ पर मंगलवार को चर्चा हुई। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने 1937 में वंदे मातरम् के केवल दो अंतरों को मान्यता दी थी। यहीं से देश में तुष्टीकरण की राजनीति शुरू हुई। शाह ने कहा, इस तरह के फैसलों ने आगे चलकर देश के विभाजन का रास्ता तैयार किया। अगर उस समय पूरा वंदे मातरम् स्वीकार किया जाता तो शायद भारत का विभाजन न होता। शाह ने संबोधन में कहा- जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ, पूरे देश को बंदी बना दिया गया। जब 150 साल पर कल सदन (लोकसभा) में चर्चा शुरू हुई, गांधी परिवार के दोनों सदस्य (राहुल-प्रियंका) नदारद थे। वंदे मातरम् का विरोध नेहरू से लेकर आज तक गांधी परिवार के खून में है। दरअसल राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने के मौके पर भारत सरकार की ओर से सालभर का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस क्रम में 8 दिसंबर को लोकसभा और 8 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा की गई। शाह बोले- वंदे मातरम् पर चर्चा चुनाव से जुड़ी नहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- जो लोग वंदे मातरम् के महत्व को नहीं जानते वे इसे चुनाव से जोड़ रहे हैं। शाह के बयान को प्रियंका गांधी के बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है। दरअसल एक दिन पहले लोकसभा में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा था- वंदे मातरम् गीत 150 साल से देश की आत्मा का हिस्सा है। आज इस पर बहस क्यों हो रही है? मैं बताती हूं- क्योंकि बंगाल का चुनाव आ रहा। मोदी जी उसमें अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं।
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