झीलों की नगरी उदयपुर में 21 दिसंबर से दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव का आगाज होगा। इस उत्सव को लेकर आज शिल्पग्राम में जिला प्रशासन और पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र के अधिकारियों के साथ एक तैयारी बैठक हुई। बैठक में जोर दिया गया कि बड़ी संख्या में आने वाले टूरिस्ट और शहरवासियों के लिए पार्किंग पर इस बार खास प्रबंध किए जाए। इस बार शिल्पग्राम का रंगमंच पुरानी हवेली के डिजाइन पर तैयार होगा। शिल्पग्राम परिसर के कॉन्फ्रेंस हॉल में एडीएम सिटी जितेंद्र ओझा की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस बैठक में आयोजन के दौरान सामान्य व्यवस्था, मूवमेंट, पार्किंग, अग्निशमन प्रबंध समेत विविध विषयों पर चर्चा हुई। इस दौरान प्रशासन की और से निर्देश दिए गए कि यहां आने वाले लोगों को वाहनों की पार्किंग को लेकर समस्या नहीं हो इसके लिए बेहतर प्रबंध किए जाए। एडीएम ओझा ने कहा कि इसके लिए कुछ और पार्किंग प्वांइट विकसित किए जाए और पार्किंग को लेकर लोगों को असुविधा नहीं हो इस बात का खास ख्याल रखा जाए। पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र निदेशक फुरकान खान ने पार्किंग को लेकर तैयार किए गए प्लान की जानकारी दी। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े उत्सव का शुभारंभ करेंगे। बैठक में यूडीए सचिव हेमेंद्र नागर, पर्यटन उपनिदेशक शिखा सक्सेना, मुख्य अग्निशमन अधिकारी बाबूलाल चौधरी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। मुख्य द्वार और मुक्ताकाशी रंगमंच के डिजाइन फाइनल
शिल्पग्राम उत्सव को लेकर मुख्य द्वार और मुक्ताकाशी रंगमंच की डिजाइन फाइनल हो चुकी है। इस बार मुख्य द्वार पर सहरिया जनजाति के मांडणे होंगे। इसके जरिए इस जनजाति की संस्कृति के बारे में बताया जाएगा। दूसरी ओर रंगमंच को पुरानी हवेली के डिजाइन पर तैयार करेंगे। इसमें गोखड़े-दरवाजे होंगे। इन्हें बनाने के लिए पश्चिम बंगाल के कोलकाता से शिल्पकार आएंगे। यह टीम 11 दिसंबर तक उदयपुर पहुंच जाएगी। सीताफल की रबड़ी सहित 350 से ज्यादा दुकानें सजेंगी उत्सव में इस बार भी 350 से ज्यादा दुकानें लगेंगी। इनकी नीलामी 12 दिसंबर को होगी। मेले में सीताफल की रबड़ी, गोगुंदा के मक्की के पापड़, मक्की की राब समेत स्थानीय खाने-पीने की चीजों की स्टॉल लगाई जाएंगी। राजस्थान सहित गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, असम, केरल, नागालैंड, पंजाब सहित 20 से ज्यादा राज्यों के शिल्पकार भी अपने उत्पाद लेकर आएंगे।


